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सुप्रीम कोर्ट ने AIFF का नया संविधान मंज़ूर किया, भारतीय फुटबॉल में खिलाड़ियों की भागीदारी और पारदर्शिता को मिला बढ़ावा

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने नया एआईएफएफ संविधान मंज़ूर किया, खिलाड़ियों को वोटिंग अधिकार और सख्त प्रशासनिक सुधार अनिवार्य किए।

सुप्रीम कोर्ट ने AIFF का नया संविधान मंज़ूर किया, भारतीय फुटबॉल में खिलाड़ियों की भागीदारी और पारदर्शिता को मिला बढ़ावा

नई दिल्ली, 20 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय फुटबॉल के प्रशासन को नया आकार देने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया। करीब आठ साल की कानूनी लड़ाई के बाद, पीठ ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के लिए नया संविधान मंज़ूर किया, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता, खिलाड़ियों की भागीदारी और राष्ट्रीय खेल नीतियों का पालन सुनिश्चित करना है।

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पृष्ठभूमि

यह मामला 2010 में तब शुरू हुआ जब कार्यकर्ता राहुल मेहरा ने खेल संगठनों के अपारदर्शी संचालन पर सवाल उठाया। 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए AIFF के चुनाव रद्द कर दिए। सुप्रीम कोर्ट ने दखल देकर समितियों और पूर्व न्यायाधीशों को सुधार प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया, जबकि 2022 में भारत को अस्थायी फीफा निलंबन का सामना करना पड़ा।

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न्यायालय के अवलोकन

अप्रैल से सितंबर 2025 तक चली अंतिम सुनवाई के दौरान पीठ ने फुटबॉल की “भाईचारे और समावेशिता” को बढ़ाने में भूमिका पर जोर दिया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, “खेल एक संवैधानिक मूल्य है जितना कि यह सार्वजनिक गतिविधि है। प्रशासन को भी इसी भावना को दर्शाना होगा।”

कोर्ट ने 15 सेवानिवृत्त अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों - जिनमें कम से कम पांच महिलाएं हों - को एआईएफएफ की महासभा में शामिल करने का निर्णय बरकरार रखा, जबकि कुछ राज्य संघों ने इसका विरोध किया था। पीठ ने टिप्पणी की, “यह निश्चित है कि प्रमुख खिलाड़ियों की उपस्थिति पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देती है।”

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“प्रमुख खिलाड़ी” की योग्यता में थोड़ी ढील दी गई: पुरुष खिलाड़ियों को अब पाँच अंतरराष्ट्रीय मैच और महिला खिलाड़ियों को दो मैच खेलने होंगे, ताकि चयन का दायरा व्यापक हो। न्यायालय ने तीन उपाध्यक्षों (जिनमें एक महिला शामिल होगी) को भी मंज़ूरी दी, जिससे प्रतिनिधित्व और दक्षता में संतुलन बना रहेगा।

अयोग्यता के मामलों में अदालत ने पहले के मसौदे को नरम किया-सरकारी सेवकों को केवल मंत्री या पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी होने पर ही रोका जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि केवल आपराधिक आरोप तय होने भर से उम्मीदवार अयोग्य नहीं होगा; कम से कम दो साल की सजा वाली सजा-युक्त दोषसिद्धि ही अयोग्यता का आधार बनेगी।

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फैसला

लंबी सुनवाई समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव द्वारा प्रस्तावित संशोधित संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया। अदालत ने निर्देश दिया कि एआईएफएफ अगला चुनाव इन्हीं नए नियमों के तहत कराए, ताकि राष्ट्रीय खेल विकास संहिता और आने वाले राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम का पालन सुनिश्चित हो।

पीठ ने अपीलों का निपटारा करते हुए कहा, “खेल अपने खिलाड़ियों और प्रशंसकों का होना चाहिए। ये सुधार जवाबदेही की नींव हैं। यहां से भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ना होगा।”

मामला: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ बनाम राहुल मेहरा एवं अन्य (भारत का सर्वोच्च न्यायालय, 2025)

उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1131

अपील संख्या: विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 30748-30749, 2017 से उत्पन्न दीवानी अपील

निर्णय तिथि: 20 सितंबर 2025

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