नई दिल्ली, 19 सितंबर: मॉड्यूलर पावर यूनिट्स से जुड़े कारोबारों पर असर डालने वाले एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आज क्विप्पो एनर्जी लिमिटेड की केंद्रीय उत्पाद शुल्क मांग के खिलाफ दायर अपील खारिज कर दी। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने माना कि क्विप्पो द्वारा आयातित गैस जेनरेटर सेट (जेनसेट) को स्टील कंटेनर में रखकर कई पुर्ज़ों के साथ जोड़ने की प्रक्रिया एक अलग और बाजार में बिकने योग्य उत्पाद बनाती है- इसलिए उस पर एक्साइज ड्यूटी लगेगी।
पृष्ठभूमि
क्विप्पो आयातित गैस जेनसेट लाता है और उन्हें औद्योगिक ग्राहकों को किराये पर देता है। आसान ढुलाई के लिए कंपनी हर जेनसेट को स्टील कंटेनर में लगाती है और रेडिएटर, वेंटिलेशन फैन, ऑयल टैंक, पंप, साइलेंसर और कंट्रोल पैनल जैसे उपकरण जोड़ती है।
अहमदाबाद केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग का तर्क था कि यह असेंबली केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 के तहत “मैन्युफैक्चर” यानी निर्माण के दायरे में आती है क्योंकि इससे “पावर पैक” नामक एक अलग व्यावसायिक उत्पाद बनता है। पहले, कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण (CESTAT) ने पेनल्टी तो हटा दी थी, लेकिन सामान्य अवधि के लिए ड्यूटी को बरकरार रखा था।
अदालत की टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर गहराई से विचार किया कि “मैन्युफैक्चर” की कानूनी परिभाषा क्या है। जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “सिर्फ प्रोसेसिंग काफी नहीं है; ऐसा रूपांतरण होना चाहिए जिससे एक नया और अलग आर्टिकल सामने आए जिसका नाम, स्वरूप या उपयोग भिन्न हो।”
पीठ ने क्विप्पो का यह दावा खारिज किया कि जेनसेट वही उत्पाद बना रहता है। फैसले में कहा गया, “आयातित जेनसेट और पावर पैक दो अलग वस्तुएं हैं, जिनकी संरचना और कार्यात्मक उपयोगिता भिन्न है।”
न्यायालय ने यह भी माना कि रेडिएटर और वेंटिलेशन सिस्टम जैसे अतिरिक्त हिस्से वैकल्पिक सहायक उपकरण नहीं बल्कि “पार्ट्स” हैं, जो कंटेनराइज्ड यूनिट के संचालन के लिए अनिवार्य हैं। जजों ने जोर देकर कहा कि पोर्टेबिलिटी- यानी एकल कंटेनर में पावर प्लांट को ले जाकर चलाने की क्षमता- अंतिम उत्पाद को “बाजार में अपनी अलग पहचान” देती है।
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निर्णय
“रूपांतरण” और “बाजार में बिकने की क्षमता” दोनों परीक्षण पूरे होने पर, कोर्ट ने फैसला दिया कि क्विप्पो के कंटेनराइज्ड जेनसेट केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम की धारा 2(f) के तहत “निर्मित वस्तु” हैं।
पीठ ने आदेश दिया, “यह प्रक्रिया एक नया, अलग और बाजार में बिकने योग्य उत्पाद उत्पन्न करती है,” और क्विप्पो की सभी अपीलें खारिज करते हुए सामान्य अवधि की एक्साइज ड्यूटी मांग को बरकरार रखा।
मामले का शीर्षक: क्विप्पो एनर्जी लिमिटेड बनाम केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त, अहमदाबाद-II
उद्धरण: 2025 INSC 1130
निर्णय तिथि: 19 सितंबर 2025