नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को एक सख्त संदेश देते हुए आदेश दिया कि महाराष्ट्र में लंबित सभी स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक हर हाल में कराए जाएं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य चुनाव आयोग (SEC) पर गहरी नाराज़गी जताई और बार-बार समय सीमा तोड़ने तथा “अविश्वसनीय बहाने” देने के लिए कड़ी फटकार लगाई।
पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र में 29 नगर निगम, जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चुनाव 2022 से अटके पड़े हैं। वजह थी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर विवाद, जिसने पूरी प्रक्रिया रोक दी। इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही राज्य चुनाव आयोग को चार महीने यानी सितंबर 2025 तक चुनाव कराने का निर्देश दिया था। लेकिन जब मामला दोबारा अदालत में आया, तब तक एक भी चुनाव अधिसूचना जारी नहीं हुई थी।
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अदालत की टिप्पणियां
खचाखच भरी अदालत में जस्टिस सूर्यकांत का लहजा शुरू से ही तीखा था। उन्होंने सीधे सवाल दागा, “स्थानीय निकाय चुनाव हुए हैं या नहीं?”
राज्य चुनाव आयोग के वकील ने बताया कि वार्डों का परिसीमन अभी जारी है और मतदाता सूची तैयार हो रही है। लेकिन जैसे ही उन्होंने जनवरी 2026 तक का समय मांगा, पीठ ने नाराज़गी जाहिर की।
“आप सितंबर से सीधे जनवरी तक कूदना चाहते हैं? हम आपको इतना समय क्यों दें?” जस्टिस कांत ने पूछा।
जब वकील ने स्टाफ की कमी, स्कूल बोर्ड परीक्षा और 50,000 अतिरिक्त ईवीएम की जरूरत का हवाला दिया, तो न्यायाधीश ने सख्त लहजे में कहा, “क्या आप पहली बार चुनाव करा रहे हैं? आपकी निष्क्रियता आपकी अक्षमता बताती है।”
याचिकाकर्ताओं के वकील ने भी आयोग पर जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “इन्होंने सब कुछ फिर से शुरू कर दिया है। कई मामलों में परिसीमन अभी तक पूरा नहीं हुआ। इस रफ्तार से तो जनवरी 2026 तक भी चुनाव नहीं हो पाएंगे।”
फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कड़ा समयबद्ध कार्यक्रम तय किया। सभी स्थानीय निकायों का परिसीमन 31 अक्टूबर 2025 तक हर हाल में पूरा करना होगा। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पर्याप्त स्टाफ तैनात करने का निर्देश दिया गया है। राज्य चुनाव आयोग को दो हफ्तों में जरूरत का ब्यौरा देना होगा और मुख्य सचिव को चार हफ्तों में अधिकारियों की तैनाती करनी होगी।
बहुचर्चित ईवीएम की कमी पर अदालत ने आयोग को मशीनों की व्यवस्था कर 30 नवंबर 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
स्कूल बोर्ड परीक्षाओं को लेकर दी गई दलील को कोर्ट ने खारिज करते हुए जस्टिस कांत ने साफ कहा, “बोर्ड परीक्षाएं आमतौर पर मार्च में होती हैं।”
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अंत में अदालत ने स्पष्ट आदेश सुनाया: “जिला परिषद, पंचायत समिति और सभी नगर निकायों के चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराए जाएं। अब आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।”
इस संक्षिप्त लेकिन सख्त आदेश के साथ सुनवाई खत्म हुई, और राज्य चुनाव आयोग के पास अब बहाने की कोई गुंजाइश नहीं बची।
मामला: राहुल रमेश वाघ बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य
आदेश की तिथि: 16 सितंबर 2025