बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए हिकल लिमिटेड बनाम भारत संघ एवं अन्य (रिट याचिका संख्या 78/2025) मामले में कर विभाग की कार्रवाई को अवैध करार दिया। न्यायमूर्ति एम.एस. सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि सीजीएसटी नियमों की धारा 89(4B) और 96(10) को जब 2024 में हटा दिया गया और कोई बचाव प्रावधान (सेविंग क्लॉज़) भी नहीं जोड़ा गया, तो उन नियमों पर आधारित लंबित कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकती।
पृष्ठभूमि
नवी मुंबई स्थित रसायन और फार्मा निर्माण कंपनी हिकल लिमिटेड पर 2024 में विभाग ने करीब 67 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस जारी किया था। आरोप था कि 2017 से 2020 के बीच कंपनी ने अनुचित तरीके से एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) रिफंड लिया है। यह कार्यवाही पूरी तरह नियम 96(10) के उल्लंघन पर आधारित थी।
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केवल हिकल ही नहीं, याशो इंडस्ट्रीज़ और रिस्पॉन्सिव इंडस्ट्रीज़ जैसी कई अन्य कंपनियों ने भी इसी आधार पर दाखिल नोटिसों को चुनौती दी थी। कंपनियों की दलील थी कि जब सरकार ने अक्टूबर 2024 की अधिसूचना से इन विवादित नियमों को हटा दिया, तो पुराने मामले अपने आप खत्म हो जाते हैं।
पीठ ने इस प्रश्न पर गंभीर विचार किया कि क्या नियम हट जाने के बाद भी कार्यवाही चल सकती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार ने नियमों को हटाते समय ऐसा कोई प्रावधान नहीं जोड़ा जिससे लंबित जांच या नोटिस जारी रह सकें।
“पीठ ने कहा, ‘जब कोई प्रावधान विधि से हटा दिया जाता है और उसकी निरंतरता के लिए कोई बचाव व्यवस्था नहीं होती, तो उस पर आधारित कार्यवाही स्वतः समाप्त हो जाती है।’”
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अदालत ने हिकल लिमिटेड और अन्य याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सभी नोटिस और रिकवरी की कार्यवाही को अस्थिर और अवैध घोषित किया। इसके साथ ही कंपनियों पर लगाए गए जीएसटी बकाया और रिफंड वापसी की मांग भी निरस्त हो गई।
यह फैसला महाराष्ट्र समेत देशभर के उन निर्यातकों और विनिर्माताओं के लिए बड़ा राहतकारी कदम माना जा रहा है, जिन पर केवल निरस्त नियमों के आधार पर भारी कर विवाद थोपे गए थे।
केस शीर्षक: हिकल लिमिटेड बनाम भारत संघ एवं अन्य
केस संख्या: रिट याचिका संख्या 78 वर्ष 2025