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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: चेक बाउंस नोटिस में राशि अलग हुई तो मामला होगा रद्द

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, चेक बाउंस नोटिस में चेक से अलग राशि लिखना घातक है; टाइपिंग गलती भी मान्य नहीं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: चेक बाउंस नोटिस में राशि अलग हुई तो मामला होगा रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कावेरी प्लास्टिक्स की अपील खारिज कर दी और साफ कहा कि चेक बाउंस के लिए भेजे गए कानूनी नोटिस में वही राशि लिखी जानी चाहिए जो चेक में दर्ज है-न उससे ज़्यादा, न कम। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि “टाइपिंग की गलती” का बहाना भी ऐसे नोटिस को बचा नहीं सकता।

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पृष्ठभूमि

कावेरी प्लास्टिक्स ने 2012 में नैफ्टो गैज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ ज़मीन बिक्री का समझौता किया था। कंपनी ने ₹1 करोड़ का चेक जारी किया, जो “अपर्याप्त धन” कारण से बाउंस हो गया। इसके बाद कावेरी प्लास्टिक्स ने दो कानूनी नोटिस भेजे, जिनमें ₹2 करोड़ की मांग की गई। जवाबी पक्ष ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी कि नोटिस में बताई गई राशि और चेक की राशि में फर्क है, जो कि परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act) की धारा 138 का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने फरवरी 2024 में यही मानते हुए मामला खारिज कर दिया, जिसके खिलाफ यह अपील दायर की गई थी।

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अदालत की टिप्पणियां

जस्टिस अंजारिया ने बताया कि धारा 138(बी) के तहत धारक को “उक्त राशि का भुगतान मांगना” ज़रूरी है, जिसका अर्थ केवल चेक की मूल राशि है। सुमन सेठी बनाम अजय के. चुरिवाल जैसे पुराने फैसलों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि दंडात्मक कानूनों में कड़ी अनुपालना आवश्यक है।

पीठ ने कहा, “नोटिस सटीक होना चाहिए। जब कानून कहता है कि ‘उक्त राशि’ चेक की राशि से मेल खानी चाहिए, तब टाइपिंग की गलती भी बचाव नहीं हो सकती।”

न्यायाधीशों ने यह भी नोट किया कि कावेरी प्लास्टिक्स ने दो अलग-अलग नोटिस में यही गलती दोहराई, जिससे सिर्फ चूक का तर्क कमजोर हो गया। कोर्ट ने कहा, “लचीली व्याख्या नहीं अपनाई जा सकती,” और परक्राम्य लिखत अधिनियम को “तकनीकी अपराध” बताया जिसमें किसी प्रकार की अस्पष्टता की गुंजाइश नहीं है।

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निर्णय

अपील को निराधार पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा और कावेरी प्लास्टिक्स की शिकायत खारिज कर दी। अब प्रतिवादी पर चेक बाउंस की आपराधिक कार्यवाही नहीं चलेगी। यह फैसला दोहराता है कि dishonoured cheque के लिए भेजे गए नोटिस में केवल वही राशि मांगी जानी चाहिए जो चेक में दर्ज है-ज्यादा या कम मांगने पर मामला टिक नहीं पाएगा।

मामला: कावेरी प्लास्टिक्स बनाम महदूम बावा बहरुदीन नूरुल - चेक बाउंस नोटिस की राशि में अंतर

निर्णय की तिथि: 19 सितंबर 2025

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