भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को थम्मिनेनी भास्कर की सज़ा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया। भास्कर पर 2016 नेल्लोर हत्याकांड का आरोप था। न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सबूतों का गलत आकलन कर दोषसिद्धि कायम की थी।
पृष्ठभूमि
यह मामला मार्च 2016 का है, जब नेल्लोर ज़िले के सर्वेपल्ली जलाशय के पास एक ऑटो चालक भूमिनाधन का शव बरामद हुआ। परिजनों ने आरोप लगाया कि भास्कर, जो ऑटो व्यवसाय से जुड़े थे और जिनसे पहले से रंजिश थी, ने भूमिनाधन का अपहरण और हत्या की।
इसी महीने की शुरुआत में भूमिनाधन की माँ ने भास्कर और उसके साथियों पर अश्लील टिप्पणी करने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके जवाब में भास्कर ने भी एक क्रॉस-शिकायत दी, जिससे दोनों पक्षों में तनाव बढ़ा।
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26 मार्च को बताया गया कि तालपागिरी कॉलोनी के बरगद के पेड़ के पास भूमिनाधन को एक ऑटो में खींचकर ले जाया गया। अगले दिन उसका शव कई चोटों के साथ मिला। पुलिस ने अपहरण और हत्या का केस दर्ज किया और लंबे ट्रायल के बाद भास्कर को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। हाईकोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा था।
अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम गवाहों, PW-5 और PW-6 की गवाही पर ध्यान दिया। शुरुआती पुलिस बयान में उन्होंने कहा था कि उन्होंने भूमिनाधन को ऑटो में खींचते देखा, लेकिन अदालत में उन्होंने यह बात नहीं दोहराई। उन्होंने सिर्फ यह माना कि बरगद के पेड़ के नीचे कुछ "गल्ला" (हंगामा) हुआ था, लेकिन वे किसी की पहचान नहीं कर सके।
पीठ ने टिप्पणी की, “अभियोजन यह साबित करने में बुरी तरह असफल रहा कि अपराध A-1 (भास्कर) ने किया।” न्यायाधीशों ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है कि मृतक को आखिरी बार भास्कर के साथ देखा गया। पुरानी दुश्मनी से जुड़ा कथित मकसद अकेले दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के पाँच “स्वर्णिम सिद्धांतों” का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में इनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ। पीठ ने कहा, “जब न तो विश्वसनीय ‘लास्ट सीन’ साक्ष्य है और न ही अपहरण का ठोस सबूत, तब दोषसिद्धि कायम नहीं रह सकती।”
निर्णय
ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों के फैसलों को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भास्कर को हत्या (धारा 302), अपहरण (धारा 364) और सबूत मिटाने (धारा 201) के आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने उनके तुरंत रिहाई का आदेश दिया, बशर्ते कि वे किसी अन्य मामले में वांछित न हों।
इस फैसले के साथ नेल्लोर का नौ साल पुराना यह आपराधिक मामला आखिरकार समाप्त हो गया-हालांकि समुदाय में यह बहस लंबे समय तक जारी रह सकती है कि न्याय हुआ या नहीं।
केस का शीर्षक: थम्मिनेनी भास्कर बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1124
केस संख्या: आपराधिक अपील संख्या 4623/2024
निर्णय की तिथि: 17 सितंबर, 2025