अहमदाबाद, 21 अगस्त – गुजरात हाईकोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर और सांसद यूसुफ मेहमूदखान पठान की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपने वडोदरा स्थित बंगले के पास 978 वर्गमीटर के प्लॉट को रखने का अधिकार मांगा था। न्यायमूर्ति मौना एम. भट्ट ने माना कि पठान का वर्षों से उस ज़मीन पर कब्ज़ा “सिर्फ अतिक्रमण” है, जबकि उनके वकील यह दलील दे रहे थे कि सार्वजनिक नीलामी के बिना भी उन्हें लीज़ मिल सकती है।
पृष्ठभूमि
पठान ने 2012 में सबसे पहले इस प्लॉट के लिए आवेदन किया था, यह कहते हुए कि उनके परिवार की सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है। वडोदरा नगर निगम (वीएमसी) ने शुरुआती तौर पर ज़मीन का मूल्यांकन किया और 99 साल की लीज़ पर देने का प्रस्ताव पारित किया। लेकिन चूंकि सौदा सार्वजनिक नीलामी के बिना था, वीएमसी ने राज्य सरकार से मंज़ूरी मांगी। 2014 में गुजरात शहरी विकास विभाग ने अनुमति देने से इंकार कर दिया। इसके बाद जून 2024 में वीएमसी द्वारा खाली करने का आदेश मिलने पर ही पठान अदालत पहुंचे।
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अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान, पठान के वकीलों ने दलील दी कि गुजरात प्रांतीय नगर निगम अधिनियम की धारा 79 नगर आयुक्त को राज्य की मंज़ूरी के बिना ज़मीन लीज़ पर देने का अधिकार देती है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान नगर निकायों को स्वायत्तता देता है। लेकिन अदालत ने पाया कि 2012 से ही पठान को पता था कि प्रस्ताव को राज्य सरकार की स्वीकृति चाहिए और उन्हें कभी औपचारिक स्वीकृति आदेश नहीं मिला, न ही उन्होंने ज़मीन का कोई भुगतान किया।
न्यायमूर्ति भट्ट ने कहा, “बिना भुगतान किए या बिना आवंटन आदेश के ज़मीन पर कब्ज़ा करना अनुचित है।” न्यायालय ने यह भी जोड़ा कि एक प्रसिद्ध सांसद “देश के कानून के प्रति अतिरिक्त जिम्मेदारी और कर्तव्य रखता है” और बाद में भुगतान की पेशकश करके “अतिक्रमण को वैध” नहीं कर सकता।
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निर्णय
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि पठान ने “बिना किसी अधिकार के केवल ज़मीन का आनंद लिया,” इसलिए याचिका खारिज की जाती है और वीएमसी द्वारा अतिक्रमण हटाने के आदेश को बरकरार रखा जाता है। अदालत ने कोई लागत नहीं लगाई, लेकिन निगम को ज़मीन वापस लेने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की उम्मीद जताई।
मामला: यूसुफ महमूदखान पठान बनाम गुजरात राज्य और वडोदरा नगर निगम
केस नंबर: आर/स्पेशल सिविल एप्लीकेशन नंबर 9027 ऑफ़ 2024