लखनऊ, 11 सितंबर - इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपित 15 वर्षीय किशोर को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया ने यह आदेश सुनाते हुए निचली अदालतों के उन फैसलों को रद्द कर दिया, जिनके कारण नाबालिग लगभग डेढ़ साल से जेल में बंद था।
पृष्ठभूमि
यह मामला मार्च 2024 की सुल्तानपुर घटना से जुड़ा है, जिसमें “जुवेनाइल एक्स” (पहचान गोपनीय रखने हेतु नाम बदला गया) पर भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और 376 (बलात्कार) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धाराएं 5एम और 6 के तहत आरोप लगाए गए थे। उसकी जमानत याचिकाएं पहले किशोर न्याय बोर्ड और बाद में अपीलीय अदालत ने खारिज कर दी थीं। कथित घटना के समय उसकी उम्र लगभग 15 वर्ष 8 माह थी।
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सुनवाई के दौरान पीठ ने नोट किया कि किशोर पहले ही लगभग 18 महीने हिरासत में बिता चुका है और मुकदमा जल्द खत्म होने की कोई संभावना नहीं दिख रही। अदालत ने कहा, “संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता में त्वरित सुनवाई का अधिकार भी शामिल है,” और इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के यूनियन ऑफ इंडिया बनाम के.ए. नजीब तथा पारस राम विश्नोई बनाम डायरेक्टर जनरल, ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के फैसलों का हवाला दिया।
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि मेडिकल जांच में पीड़िता के शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई और अभियोजन की कहानी को समर्थन देने वाला सबूत नहीं है। अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता ने रिकॉर्ड पर सबूत होने का दावा किया, लेकिन लंबे कारावास की बात से इंकार नहीं किया।
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निर्णय
“समीक्षा में बल है,” यह मानते हुए न्यायमूर्ति लवानिया ने 22 जुलाई 2024 के सुल्तानपुर अपीलीय आदेश और किशोर न्याय बोर्ड के पूर्ववर्ती जमानत अस्वीकृति आदेश को निरस्त कर दिया। नाबालिग को तब रिहा किया जाएगा जब उसका प्राकृतिक अभिभावक व्यक्तिगत बॉन्ड और दो जमानतें प्रस्तुत करेगा। शर्तों में एक वर्ष तक हर महीने जिला प्रोबेशन अधिकारी के समक्ष उपस्थिति और यह लिखित आश्वासन शामिल है कि वह कोई अवैध गतिविधि नहीं करेगा और गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा।
मामला: किशोर X (नाबालिग) पिता के माध्यम से बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य
अपील/संशोधन संख्या: आपराधिक पुनरीक्षण संख्या 955/2024
निर्णय की तिथि: 11 सितंबर 2025