जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह 63 वर्षीय महिला रक्षंदा राशिद को भारत वापस लाए, जिन्हें हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान डिपोर्ट कर दिया गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल भारती ने 6 जून 2025 को पारित किया, जिन्होंने मामले की असाधारण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया। याचिका रक्षंदा राशिद की बेटी फलक ज़हूर ने दायर की थी, जिसमें बताया गया कि उनकी मां पिछले करीब चार दशकों से भारत में रह रही थीं और उनके पास लंबी अवधि का वीजा (Long-Term Visa - LTV) था।
याचिका में कहा गया कि रक्षंदा राशिद को बिना किसी औपचारिक डिपोर्टेशन आदेश के जबरन पाकिस्तान भेज दिया गया, जबकि उनके स्वास्थ्य की स्थिति गंभीर है और वहां उनका कोई भी संरक्षक नहीं है।
"मानव अधिकार मानव जीवन का सबसे पवित्र घटक हैं और इसलिए ऐसे अवसर आते हैं जब एक संवैधानिक अदालत को किसी मामले की मेरिट और डेमेरिट को परे रखकर SOS जैसे हस्तक्षेप करना पड़ता है। इसलिए यह अदालत भारत सरकार के गृह मंत्रालय को निर्देश दे रही है कि याचिकाकर्ता को उनके डिपोर्टेशन से वापस लाया जाए।"
— जस्टिस राहुल भारती, जम्मू हाईकोर्ट
कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता के पास डिपोर्टेशन के समय LTV था, इसलिए उनकी वापसी बिना उचित जांच के अनुचित मानी जा सकती है।
"यह अदालत इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रख रही है कि याचिकाकर्ता के पास उस समय LTV था, जो अपने आप में डिपोर्टेशन के लिए पर्याप्त कारण नहीं था, लेकिन संबंधित प्राधिकारी द्वारा उनके मामले की सही जांच किए बिना और उचित आदेश के बिना उन्हें देश से बाहर कर दिया गया।"
— न्यायालय की टिप्पणी
कोर्ट ने इस असाधारण परिस्थिति में भारत सरकार को आदेश दिया कि वह रक्षंदा राशिद को 10 दिनों के भीतर जम्मू वापस लाए, ताकि वह अपने पति शेख ज़हूर अहमद से पुनर्मिलन कर सकें।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 1 जुलाई 2025 तय की है और उस दिन अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है।
मामला: रक्षंदा राशिद थ्रू फलक ज़हूर बनाम भारत सरकार
याचिकाकर्ता की ओर से: अधिवक्ता हिमानी खजूरिया
सरकार की ओर से: डिप्टी सॉलिसिटर जनरल विशल शर्मा