कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर आगे सुनवाई न करने का निर्णय लिया, जिसमें देशभर में अश्लील वेबसाइटों और मोबाइल एप्लिकेशनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश विभु बखरू और न्यायमूर्ति सी.एम. पूनाचा की पीठ ने यह देखते हुए कहा कि इसी तरह के मामलों पर पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय में विचार चल रहा है, इसलिए इस समय उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप उचित नहीं होगा।
यह याचिका द लीगल अटॉर्नीज़ एंड बैरिस्टर लॉ फर्म ने दायर की थी, जिसमें अदालत से केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे उन वेबसाइटों और एप्लिकेशनों को ब्लॉक करें जो कथित रूप से अश्लील या पोर्नोग्राफिक सामग्री को बढ़ावा देती हैं, जिनमें OnlyFans और Pornhub जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। याचिका में यह भी कहा गया था कि ऑनलाइन सामग्री नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
सुनवाई के दौरान, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एच. शांति भूषण ने अदालत को बताया कि ऑनलाइन अश्लील सामग्री के नियमन से जुड़ा मामला इस समय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इसे नोट करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा,
“हमारा यह मत है कि वर्तमान PIL पर इस चरण में विचार करना उचित नहीं होगा। अतः कोई आदेश आवश्यक नहीं है।”
इन संक्षिप्त टिप्पणियों के साथ, पीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया और इस मामले में आगे कोई दिशा-निर्देश या टिप्पणी जारी नहीं की।
Case Title: The Legal Attorneys and Barristers Law Firm v. Union of India & Others
Case No: W.P. No. 3155 of 2024