एर्नाकुलम स्थित केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अनोखी लेकिन गंभीर समस्या को सुलझाया, जिसका सामना एक युवा दंपत्ति कर रहा था। उनके विवाह प्रमाणपत्र में असली शादी की तारीख दर्ज नहीं की गई थी। जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन ने फैसला सुनाया कि स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत जारी होने वाले विवाह प्रमाणपत्र में मूल विवाह तिथि का उल्लेख अनिवार्य है, केवल पंजीकरण की तिथि नहीं।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता अतुल दिनी (29), एर्नाकुलम निवासी और अतुल्या राज (31), कोल्लम निवासी ने 10 जुलाई 2022 को हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह किया। बाद में, दोनों विदेश में कार्यरत होने के कारण, उन्होंने 1954 के स्पेशल मैरेज एक्ट की धारा 15 के तहत त्रिक्काकारा के विवाह अधिकारी के सामने अपना विवाह पंजीकृत कराया।
लेकिन अक्टूबर 2022 में जब उन्हें विवाह प्रमाणपत्र मिला, तो उसमें उनकी असली शादी की तारीख दर्ज नहीं थी। प्रमाणपत्र में केवल पंजीकरण की तारीख थी। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी -
“हम यह देखकर हैरान थे कि विवाह प्रमाणपत्र में हमारी वास्तविक शादी की तारीख नहीं लिखी गई।”
अधिकारियों ने जवाब दिया कि यह चूक PEARL नामक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर के कारण हुई, जो अपने आप प्रमाणपत्र तैयार करता है और उसमें मूल शादी की तारीख के लिए स्थान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले जब प्रमाणपत्र हाथ से बनाए जाते थे, तब विवाह की तिथि दर्ज होती थी, लेकिन सॉफ्टवेयर आधारित फॉर्मेट में यह संभव नहीं रहा।
अदालत की टिप्पणियाँ
जस्टिस ईपेन ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने स्पेशल मैरेज एक्ट की पाँचवीं अनुसूची का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से मूल विवाह तिथि दर्ज करने की व्यवस्था है। अदालत ने कहा -
“प्रतिवादियों द्वारा बताई गई वजह यह है कि प्रमाणपत्र PEARL सॉफ्टवेयर से जारी होते हैं। हो सकता है कि सॉफ्टवेयर में अपलोड किया गया फॉर्म सही न हो। लेकिन अधिनियम के अनुसार, तारीख शामिल करने का प्रावधान मौजूद है।”
अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि दंपत्ति को कितनी परेशानी उठानी पड़ी, जब उन्हें बार-बार अधिकारियों से संपर्क करना पड़ा लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। असली तारीख दर्ज न होने पर उन्हें अपनी शादी साबित करने के लिए अलग से परंपरागत प्रमाणपत्र पर निर्भर होना पड़ता।
जस्टिस ईपेन ने आगे टिप्पणी की -
“जब तक विवाह की तिथि दर्ज नहीं की जाती, तब तक ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने का कोई अर्थ नहीं है।”
फैसला
हाईकोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए विवाह अधिकारी (प्रतिवादी संख्या 2) को निर्देश दिया कि वे एक माह के भीतर याचिकाकर्ताओं को नया विवाह प्रमाणपत्र जारी करें, जिसमें उनकी वास्तविक शादी की तारीख 10 जुलाई 2022 दर्ज हो। दंपत्ति को भी पुराना प्रमाणपत्र जमा करने का आदेश दिया गया।
इसके साथ ही अदालत ने इस मामले को केवल व्यक्तिगत सीमा तक न रखते हुए इसे प्रणालीगत विफलता बताया। टैक्सेस (J) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और पंजीकरण महानिरीक्षक को मामले में पक्षकार बनाया गया। उन्हें आदेश दिया गया कि वे PEARL सॉफ्टवेयर को अधिनियम के अनुरूप अपडेट करें, ताकि भविष्य में सभी आवेदकों को सही फॉर्मेट में प्रमाणपत्र मिले और मूल विवाह तिथि शामिल हो।
इसी के साथ रिट याचिका स्वीकार कर ली गई। अब यह दंपत्ति एक ऐसा प्रमाणपत्र पाने की उम्मीद कर सकता है जो उनकी वास्तविकता से मेल खाता हो, और सरकार के सिस्टम को ठीक करने के बाद अन्य लोग भी लाभान्वित होंगे।
Case Title: Athul Dini & Anr. v. The District Registrar (G) & Ors.
Case Number: WP(C) No. 1019 of 2023