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सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, नीलामी खरीदारों के हक में फैसला

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर SARFAESI कानून के तहत नीलामी बिक्री को सही ठहराया, खरीदारों के अधिकार सुरक्षित किए।

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, नीलामी खरीदारों के हक में फैसला
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नई दिल्ली, 23 सितम्बर 2025: बंधक संपत्ति के पुनर्खरीद (रेडेम्प्शन) अधिकार पर अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आज मद्रास हाईकोर्ट का वह आदेश पलट दिया, जिसमें बैंक की नीलामी को रद्द कर मूल उधारकर्ताओं को बिक्री पूरी होने के बाद भी जमीन वापस लेने की अनुमति दी गई थी। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब एक बार सुरक्षा हित अधिनियम (SARFAESI) के तहत निर्धारित समयसीमा खत्म हो जाती है, तो उधारकर्ता बाद में बकाया राशि चुका कर संपत्ति का अधिकार वापस नहीं पा सकते।

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पृष्ठभूमि

यह विवाद 2016 में केपीके ऑयल्स एंड प्रोटीन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लिए गए 5 करोड़ और 30 लाख रुपये के कर्ज से जुड़ा है। भुगतान में चूक होने पर दिसंबर 2019 में खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया। बैंक ने SARFAESI कानून के तहत नोटिस जारी किए और अंततः तमिलनाडु के तिरुपुर ज़िले में 1.92 एकड़ गिरवी जमीन की नीलामी कर दी।

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फरवरी 2021 में एम. राजेन्द्रन और अन्य ने 1.25 करोड़ रुपये में सफल बोली लगाई, पूरी रकम जमा की और 22 मार्च 2021 को बिक्री प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया। बाद में उधारकर्ताओं ने अपनी बकाया राशि चुका दी, लेकिन यह भुगतान नीलामी की पुष्टि होने के बाद किया गया। डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल ने उनकी चुनौती खारिज कर दी, पर मद्रास हाईकोर्ट ने धारा 13(8) के तहत उधारकर्ता के पुनर्खरीद अधिकार का हवाला देते हुए नीलामी रद्द कर दी और बैंक को खरीदारों को 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित रकम लौटाने का निर्देश दिया।

अदालत की टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की व्याख्या से असहमति जताई। पीठ ने कहा, “संशोधित धारा 13(8) साफ कहती है कि उधारकर्ता को सभी बकाया नीलामी नोटिस प्रकाशित होने की तारीख से पहले जमा करने होंगे।” जस्टिस पारदीवाला ने जोर देकर कहा कि 2016 के संशोधन ने पुनर्खरीद की समयसीमा सख्त कर दी है: “एक बार सार्वजनिक नीलामी का नोटिस प्रकाशित हो जाने के बाद कोई भी पुनर्खरीद अधिकार समाप्त हो जाता है। बिक्री प्रमाणपत्र जारी होने के बाद अदालतें इसे पुनर्जीवित नहीं कर सकतीं।”

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पीठ ने 2024 के अपने फैसले सेलिर एलएलपी बनाम बाफना मोटर्स का भी उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि वैधानिक समयसीमा के बाद उधारकर्ता का पुनर्खरीद अधिकार समाप्त हो जाता है। निर्णय में कहा गया, “समानता के आधार पर अदालतें स्पष्ट विधायी प्रावधान को दरकिनार नहीं कर सकतीं।”

फैसला

नीलामी खरीदारों की अपील स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का 2023 का आदेश रद्द कर बैंक की नीलामी बिक्री को वैध ठहराया। उधारकर्ताओं की रिट याचिका खारिज कर दी गई और खरीदारों के संपत्ति के स्वामित्व की पुष्टि की गई।

इस फैसले के साथ अदालत ने दोहराया कि SARFAESI कानून के तहत एक बार नीलामी विधिवत पूरी हो जाने के बाद, उधारकर्ता बाद में भुगतान कर बिक्री को निरस्त नहीं कर सकते।

मामला: एम. राजेंद्रन एवं अन्य बनाम केपीके ऑयल्स एंड प्रोटीन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य

उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1137, सिविल अपील संख्या 12174-12175/2025

निर्णय तिथि: 23 सितंबर 2025

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