रांची में सुनवाई के दौरान माहौल साफ था-बेंच किसी तरह की ढिलाई के मूड में नहीं थी। High Court of Jharkhand ने साफ शब्दों में कहा कि सरकारी अस्पताल की जमीन पर अवैध कब्जा किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) से जुड़ी जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के लिए कड़े और समयबद्ध निर्देश जारी किए।
यह मामला केवल जमीन का नहीं था, बल्कि मरीजों की सुरक्षा, एंबुलेंस की आवाजाही और अस्पताल के कामकाज से सीधा जुड़ा हुआ था।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला W.P.(PIL) No. 4736 of 2018 से जुड़ा है, जिसे ज्योति शर्मा ने दायर किया था। इसके साथ ही 2020 में अदालत ने दो मामलों में स्वयं संज्ञान (सुओ मोटो) लिया। वर्षों से Rajendra Institute of Medical Sciences परिसर में अवैध निर्माण और कब्जों की शिकायतें सामने आती रही हैं।
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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि RIMS परिसर स्थित “केली बंगला नंबर–2” पर एक वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी का कब्जा है, जबकि न तो बंगला उनके नाम आवंटित है और न ही वे अब झारखंड में तैनात हैं। इसके बावजूद आवास खाली नहीं किया गया।
इसी दौरान अदालत के सामने एक और गंभीर तस्वीर रखी गई-करीब सात एकड़ RIMS भूमि पर दुकानों, मंदिरों, पक्के मकानों और अस्थायी निर्माणों का कब्जा।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव द्वारा दी गई निरीक्षण रिपोर्ट ने बेंच को चिंतित कर दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि आपातकालीन गेट के पास दुकानें लगी हैं, एंबुलेंस का रास्ता बाधित है और छात्राओं के हॉस्टल के पास सुरक्षा खतरे बने हुए हैं।
बेंच ने सख्त लहजे में कहा, “सरकारी पद पर होने का यह मतलब नहीं कि कोई व्यक्ति सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा बनाए रखे।”
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अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि RIMS की जमीन विधिवत अधिग्रहित है और उसके भीतर किसी भी निजी निर्माण का कोई कानूनी आधार नहीं हो सकता। कोर्ट के अनुसार, ऐसे कब्जे सीधे तौर पर मरीजों की जान के लिए खतरा बनते हैं।
कई लोगों ने खुद को जमीन का मालिक बताते हुए आदेश में संशोधन की मांग की। उन्होंने पुराने खतियान, रसीदें और बिक्री विलेख पेश किए। लेकिन अदालत ने मूल अधिग्रहण रिकॉर्ड देखने के बाद इन दावों को खारिज कर दिया।
इन आदेशों को Supreme Court of India में भी चुनौती दी गई, लेकिन शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। इससे हाईकोर्ट के निर्देश अंतिम रूप से लागू हो गए।
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अदालत का अंतिम आदेश
सुनवाई के अंत में झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए:
- केली बंगला नंबर–2 को 15 दिनों के भीतर खाली किया जाए।
- RIMS परिसर में मौजूद सभी अतिक्रमणकारी 72 घंटे के भीतर स्वयं कब्जा हटाएँ।
- तय समय के बाद जिला प्रशासन बल प्रयोग कर अतिक्रमण हटाएगा।
- किसी भी तरह की रुकावट को अदालत की अवमानना माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि RIMS जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्था की जमीन केवल अस्पताल के उपयोग के लिए है और उसे हर हाल में मुक्त कराया जाना चाहिए।
Case Title: Jyoti Sharma vs State of Jharkhand & Ors.
Case No.: W.P.(PIL) No. 4736 of 2018 (with connected cases)
Case Type: Public Interest Litigation
Decision Date: 20 December 2025















