इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश देते हुए कहा कि अंतरिम गुज़ारा भत्ता (Interim Maintenance) आदेश की तारीख से नहीं, बल्कि आवेदन की तारीख से ही लागू होगा। यह फैसला सोनम यादव बनाम राज्य सरकार व अन्य प्रकरण में न्यायमूर्ति राजीव लोचन शुक्ला द्वारा सुनाया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
सोनम यादव ने वर्ष 2023 में धारा 125 दं.प्र.सं. (CrPC) के तहत गुज़ारा भत्ता का मामला दायर किया। इसके बाद 05 अगस्त 2024 को उन्होंने अंतरिम गुज़ारा भत्ते का आवेदन दिया।
परिवार न्यायालय, कौशांबी ने 03 अप्रैल 2025 को अंतरिम भत्ता तो मंज़ूर किया, लेकिन उसे आदेश की तारीख से लागू माना - न कि आवेदन की तारीख से। इसी फैसले को सोनम यादव ने चुनौती दी।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने कहा कि गुज़ारा भत्ता से जुड़े मामलों में देरी आम है और कई बार आवेदक आर्थिक तंगी में जीवन बिताने को मजबूर हो जाते हैं। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के राजनेश बनाम नेहा (2021) फैसले का हवाला देते हुए कहा कि:
“कानून का उद्देश्य किसी महिला को आर्थिक संकट में धकेलना नहीं है। अंतरिम भत्ता भी आवेदन की तारीख से ही प्रभावी होना चाहिए।”
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क़ानूनी देरी के कारण महिला को नुकसान नहीं होना चाहिए - यह अदालत का स्पष्ट संदेश था।
अदालत का फैसला
हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय का आदेश संशोधित करते हुए कहा कि अंतरिम गुज़ारा भत्ता 05 अगस्त 2024 (आवेदन की तारीख) से देय माना जाएगा।
“अंतरिम गुज़ारा भत्ता भी आवेदन की तारीख से ही मिलना चाहिए, यही न्यायसंगत और उचित है।”
इस प्रकार याचिका स्वीकार हुई और आदेश में संशोधन किया गया।
Case Title: Sonam Yadav vs State of U.P. & Another
Case Number: Application No. 23035 of 2025















