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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम बेदखली आदेश पर उठाए सवाल; पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से रिपोर्ट तलब

Shivam Y.

अंजलि फाउंडेशन बनाम अनिल मेहरा - सुप्रीम कोर्ट ने प्रभारी न्यायाधीश द्वारा बिना नोटिस के पारित गुरुग्राम बेदखली आदेश पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी; प्रक्रियात्मक वैधता की जांच की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम बेदखली आदेश पर उठाए सवाल; पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से रिपोर्ट तलब
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को गुरुग्राम में एक कार्यवाहक न्यायाधीश द्वारा कथित तौर पर बिना नोटिस के पारित किए गए बेदखली आदेश पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से यह स्पष्ट करने को कहा कि नियुक्त ट्रायल जज के अवकाश पर रहते हुए ऐसा आदेश कैसे जारी किया गया।

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मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला अंजलि फाउंडेशन बनाम अनिल मेहरा से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के 8 दिसंबर 2025 के आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने कहा था कि 24 नवंबर 2025 को बेदखली आदेश हो चुका है, इसलिए लंबित रिवीजन अब निरर्थक हो गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह आदेश उनकी अनुपस्थिति में पारित हुआ, जबकि मुख्य जज छुट्टी पर थे।

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याचिकाकर्ता की दलीलें

सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि जिस जज के समक्ष मामला लंबित था, वे उस दिन अवकाश पर थीं, और अगली तारीख 17 जनवरी 2026 निर्धारित थी। बावजूद इसके, मामला इन-चार्ज रेंट कंट्रोलर के समक्ष ले जाकर अंतिम आदेश सुना दिया गया।

उन्होंने कहा,

“इन-चार्ज जज केवल तत्काल मामलों में अंतरिम राहत दे सकते हैं, परंतु बिना नोटिस अंतिम आदेश देना न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है।”

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उन्होंने यह भी कहा कि ट्रस्ट 28 फरवरी 2026 तक परिसर खाली करने के लिए तैयार है, पर प्रक्रिया की वैधता की जांच जरूरी है।

कोर्ट की टिप्पणियां

बेंच ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुख्य जज की अनुपस्थिति में, बिना नोटिस और सुनवाई के अंतिम आदेश देना prima facie उचित नहीं दिखता। कोर्ट ने टिप्पणी की,

“जज अवकाश पर होने पर इन-चार्ज जज द्वारा मेरिट पर आदेश पारित करना विधिसंगत नहीं ठहरता।” कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया और प्राधिकारी सीमा को लेकर स्पष्टता की आवश्यकता बताई।

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फैसला

न्यायालय ने 2 फरवरी, 2026 को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता को 28 फरवरी, 2026 तक परिसर खाली करने का वचन देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया कि बेदखली का आदेश कैसे पारित किया गया और ऐसी स्थितियों में न्यायिक प्रतिस्थापन को कौन से नियम नियंत्रित करते हैं।

इस मामले पर अगली सुनवाई 2 फरवरी, 2026 को होगी।

Case Title: Anjali Foundation vs. Anil Mehra

Case Number: SLP (C) No. 36228/2025

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