इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कड़े शब्दों में फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को दशकों पुराने मुआवजे के विवाद से जुड़े पूर्व भूमि अधिग्रहण आदेश का पालन करने के लिए एक महीने का अंतिम समय दिया है। न्यायालय ने अवमानना का आरोप लगाने से परहेज किया, लेकिन स्पष्ट कर दिया कि कार्रवाई न करने पर राज्य के शीर्ष अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराया जाएगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सलील कुमार राय ने 28 नवंबर 2025 को सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि
मामला प्रयागराज के भैरोपुर गाँव की ज़मीन से जुड़ा है, जिसे 1977 में सिंचाई विभाग के लिए अधिग्रहित किया गया था। बाद में भूमि को शहरी विकास विभाग को आवास योजना के लिए स्थानांतरित कर दिया गया।
भूमि स्वामी विनय कुमार सिंह का कहना है कि न तो उन्हें कानूनी रूप से देय मुआवज़ा मिला और न ही भूमि का सही उपयोग हुआ। 2016 में हाई कोर्ट ने माना कि मुआवज़ा विधि अनुसार जमा नहीं किया गया, इसलिए अधिग्रहण धारा 24(2), भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत “लुप्त” माना जाएगा। राज्य की एसएलपी भी 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई, लेकिन फिर भी पालन नहीं हुआ।
सरकार की दलील और अदालत की प्रतिक्रिया
राज्य का तर्क था कि बाद में आए सुप्रीम कोर्ट के Indore Development Authority vs Manoharlal फैसले के कारण कानून की स्थिति बदल गई और 2016 का आदेश लागू करना मुश्किल हो गया। सरकार ने इसे “कानूनी भ्रम” बताया।
अदालत ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कानून बदलने से पहले का आदेश तब तक बाध्यकारी रहता है जब तक उसे उचित प्रक्रिया में रद्द या संशोधित न किया जाए।
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न्यायालय ने कहा कि
“ओवररूल होने का मतलब केवल पूर्व निर्णय की नज़ीर मूल्य का समाप्त होना है, न कि पक्षकारों के बीच दिए गए आदेश की वैधता का खत्म होना।”
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि विभाग आपसी जिम्मेदारी तय करने में इतने उलझे रहे कि याचिकाकर्ता को “एक विभाग से दूसरे विभाग में पेंडुलम की तरह भेजा गया।”
अदालत की प्रमुख टिप्पणियाँ
अदालत ने सुनवाई में कहा कि विभागीय भ्रम या आपसी टकराव अदालत के आदेशों का पालन न करने का बहाना नहीं बन सकता।
“विभागों में कार्य-वितरण केवल प्रशासनिक सुविधा है, इसे आदेश के पालन से बचने के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।”
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अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि अगर जिम्मेदारी स्पष्ट न हुई तो मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराए जाएंगे।
अंतिम आदेश
हाई कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए आदेश दिया कि:
- मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश,
- अतिरिक्त मुख्य सचिव, सिंचाई विभाग,
- अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास विभाग,
- जिलाधिकारी, प्रयागराज,
एक महीने के भीतर 2016 के आदेश का पालन करें, अन्यथा उन्हें अदालत में उपस्थित होकर आरोप तय होने का सामना करना होगा।
मामले की अगली सुनवाई 05 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है।
Case Title: Vinay Kumar Singh vs Suresh Chandra, Principal Secretary, Irrigation Dept., and Others
Case Number: Contempt Application (Civil) No. 2555 of 2017















