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पीड़िता के मुकरने के बाद J&K हाईकोर्ट ने 75 वर्षीय आरोपी को दी जमानत; कहा- ‘केवल गंभीर आरोप जमानत रोकने का आधार नहीं’

Shivam Y.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने पीड़ित द्वारा आरोप वापस लेने के बाद पीओसीएसओ मामले में एक बुजुर्ग व्यक्ति को जमानत दे दी। न्यायालय ने कहा कि वैधानिक अनुमान का खंडन हुआ है; अब साक्ष्य संदिग्ध हैं। - गुलाम नबी गनी बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश और अन्य।

पीड़िता के मुकरने के बाद J&K हाईकोर्ट ने 75 वर्षीय आरोपी को दी जमानत; कहा- ‘केवल गंभीर आरोप जमानत रोकने का आधार नहीं’
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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में 75 वर्षीय आरोपी दादा को जमानत दे दी है। उनपर पोस्को एक्ट और बीएनएस की धाराओं के तहत कथित यौन शोषण का आरोप था। लेकिन ट्रायल के दौरान पीड़िता ने बयान बदलते हुए कहा कि शिकायत उसने गुस्से और बाहरी दबाव में दी थी। निर्णय 26 दिसंबर 2025 को श्रीनगर में न्यायमूर्ति संजय धर की एकल पीठ ने सुनाया।

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पृष्ठभूमि

मामला एफआईआर नंबर 222/2024 (अनंतनाग) से संबंधित है, जिसमें आरोपी पर सेक्शन 64 BNS और POCSO एक्ट की धाराओं 5(n) और 6 के तहत आरोप लगाए गए थे। पुलिस ने मेडिकल परीक्षण, डीएनए सैंपल और एक कथित वीडियो का हवाला दिया।

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अभियोजन पक्ष ने एक वीडियो क्लिप और बीएनएसएस की धारा 183 के तहत दर्ज किए गए पहले के बयानों पर भरोसा किया। हालांकि, मुकदमे के दौरान उसने अपने बयान वापस ले लिए और दावा किया कि वह बाहरी कारकों से प्रभावित थी और यौन संबंध जैसी कोई घटना नहीं हुई थी। उसके पिता ने भी अदालत के सामने इस बात का समर्थन किया।

अदालत की टिप्पणियाँ

अदालत ने माना कि POCSO में दोष की पूर्वधारणा (presumption) होती है, लेकिन यह rebuttable यानी खंडित होने योग्य है। जब मुख्य गवाह ही आरोप से पीछे हट जाए, तो अदालत को परिस्थितियों का व्यवहारिक मूल्यांकन करना होगा।

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न्यायालय ने कहा:

“सिर्फ इसलिए कि आरोपी गंभीर आरोपों के तहत ट्रायल झेल रहा है, जमानत से वंचित करना उचित नहीं; यह प्री-ट्रायल सज़ा जैसा होगा।”

पीड़िता ने कहा कि आरोप उसने “गुस्से में” लगाए थे और दादा ने उससे कोई गलत कार्य नहीं किया। वीडियो की पहचान संदिग्ध रही और डीएनए रिपोर्ट भी आरोपी को नहीं जोड़ पाई। अदालत ने माना कि इन हालात में अभियोजन का आधार कमजोर होता दिख रहा है।

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निर्णय

गवाहियों की समीक्षा करने, वीडियो में पहचान न होने और अभियोक्ता के मुकर जाने के बाद, उच्च न्यायालय ने माना कि जमानत के उद्देश्य से POCSO अधिनियम की धारा 29 के तहत अनुमान अब खंडित हो गया है।

इस आधार पर कोर्ट ने आरोपी को ₹50,000 के निजी मुचलके और दो जमानती देने की शर्त पर रिहा करने का आदेश दिया, साथ ही यह शर्त भी कि:

  • वह हर सुनवाई पर उपस्थित रहेगा
  • बिना अनुमति J&K की सीमा नहीं छोड़ेगा
  • किसी गवाह से संपर्क या दबाव नहीं बनाएगा

Case Title: Ghulam Nabi Ganie vs. Union Territory of J&K & Another

Case No.: Bail Application No. 231/2025

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