Logo
Court Book - India Code App - Play Store

साकेत सेशंस कोर्ट का सख्त संदेश: चेक बाउंस अपील खारिज, सजा और ₹72 लाख मुआवजा बरकरार

Vivek G.

मोहम्मद दानिश अहमद बनाम द स्टेट (एनसीटी ऑफ़ दिल्ली) और अन्य। साकेत कोर्ट ने चेक बाउंस अपील खारिज की, छह महीने की जेल और ₹72 लाख के मुआवजे को बरकरार रखा, जिससे NI एक्ट के तहत सख्त जवाबदेही मजबूत हुई।

साकेत सेशंस कोर्ट का सख्त संदेश: चेक बाउंस अपील खारिज, सजा और ₹72 लाख मुआवजा बरकरार
Join Telegram

साकेत कोर्टरूम में गुरुवार दोपहर का माहौल कुछ देर के लिए पूरी तरह शांत हो गया, जब अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आदेश पढ़ना शुरू किया। चेक बाउंस के एक हाई-वैल्यू मामले में अदालत ने साफ संकेत दिया कि निचली अदालत के फैसले में दखल की कोई जरूरत नहीं है। मोहम्मद दानिश अहमद द्वारा दायर अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया, और साथ ही ट्रायल कोर्ट की सजा व मुआवजे के आदेश को बरकरार रखा।

Read in English

Background

मामला वर्ष 2013 के आसपास का है, जब शिकायतकर्ता मोहम्मद तैय्यब ने आरोप लगाया था कि उन्होंने निवेश के नाम पर आरोपी को करोड़ों रुपये दिए। शिकायत के अनुसार, इस लेन-देन के बदले दो चेक दिए गए थे, जो बैंक में प्रस्तुत करने पर “पर्याप्त धनराशि न होने” के कारण बाउंस हो गए।

Read also:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियुक्तों की रिवीजन याचिका खारिज की, कहा- धारा 156(3) CrPC के तहत FIR आदेश को इस स्तर पर चुनौती नहीं दी जा सकती

कानून के मुताबिक, चेक बाउंस होने पर नोटिस भेजा गया, लेकिन तय समय में भुगतान नहीं हुआ। इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए छह महीने की साधारण कैद और ₹72 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया। इसी फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी सत्र अदालत पहुंचा।

Court’s Observations

अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सबूतों और दलीलों को एक-एक कर परखा। अदालत ने स्पष्ट किया कि चेक पर हस्ताक्षर स्वीकार होने के बाद कानून यह मानकर चलता है कि चेक किसी वैध देनदारी के लिए दिया गया था।

Read also:- कलकत्ता हाईकोर्ट ने एमएसटीसी को सीडीए नियमों के तहत ग्रेच्युटी से नुकसान वसूली की अनुमति दी, एकल न्यायाधीश का आदेश पलटा

अदालत ने कहा, “सिर्फ यह कहना कि चेक सिक्योरिटी के तौर पर दिया गया था, अपने आप में बचाव नहीं बन जाता।” कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आरोपी ने खुद स्वीकार किया है कि उसके और शिकायतकर्ता के बीच बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ था।

कानूनी नोटिस में चेक नंबर की एक टाइपिंग गलती को लेकर उठाई गई आपत्ति को भी अदालत ने खारिज कर दिया। बेंच ने टिप्पणी की, “ऐसी मामूली त्रुटि से आरोपी को कोई वास्तविक नुकसान नहीं हुआ।” अदालत ने यह भी साफ किया कि नकद लेन-देन का आयकर कानून से जुड़ा पहलू इस आपराधिक मामले में दोषसिद्धि को कमजोर नहीं करता।

Read also:- उन्नाव रेप केस: दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सजा निलंबन पर CBI की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Decision

सभी दलीलों पर विचार करने के बाद सत्र अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि आरोपी कानून के तहत बनी धारणा को तोड़ने में असफल रहा है। परिणामस्वरूप, अपील खारिज कर दी गई। ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई छह महीने की साधारण कैद और ₹72 लाख मुआवजे की सजा को बरकरार रखा गया, और मामले को यहीं समाप्त माना गया।


Meta Description (156 characters):

Meta Keywords:

Recommended Posts