सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिवंगत सांसद मोहन डेलकर के बेटे अभिनव मोहन डेलकर द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। इस अपील में नौ व्यक्तियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बहाल करने की मांग की गई थी। अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पहले दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री अपर्याप्त है, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल भी शामिल हैं।
मोहन डेलकर, जो सात बार दादरा और नगर हवेली से सांसद रहे और 2019 के लोकसभा चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़े थे, 22 फरवरी 2021 को मुंबई के एक होटल के कमरे में मृत पाए गए थे। मौके से 14 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें राजनीतिक उत्पीड़न और दबाव का जिक्र था।
मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 389 (झूठे आरोप के डर से दबाव डालना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसमें कहा गया था कि डेलकर को प्रशासक प्रफुल पटेल के इशारे पर केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन की ओर से लगातार प्रताड़ित किया गया।
"केवल अपमान आत्महत्या के लिए उकसावे के बराबर नहीं हो सकता," कार्यवाही के दौरान CJI गवई ने टिप्पणी की।
पीठ ने यह भी कहा कि यदि किसी को "जाकर मर जाओ”" जैसी बात कह दी जाए और उसके बाद 48 घंटे में आत्महत्या हो जाए, तब भी भारतीय दंड संहिता की धारा 306 लागू नहीं होगी।
इस फैसले के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद करते हुए साफ कर दिया कि नौ आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर आगे कार्यवाही नहीं की जा सकती।
मामले का विवरण:- अभिनव मोहन डेलकर बनाम महाराष्ट्र राज्य
मामला संख्या:- सीआरएल.ए. संख्या 002177 - 002185 / 2024