नई दिल्ली, 15 सितम्बर: कर्जदाता के पक्ष में संतुलन वापस लाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का वह निर्देश रद्द कर दिया, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को तान्या एनर्जी एंटरप्राइजेज की कर्ज निपटान याचिका पर दोबारा विचार करने को कहा गया था। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने माना कि बैंक की 2020 वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) योजना के तहत उधारकर्ता का आवेदन “अधूरा था और विचार के योग्य नहीं।”
पृष्ठभूमि
तान्या एनर्जी ने एसबीआई से भारी कर्ज लिया था और सात संपत्तियों को गिरवी रखा था। भुगतान चूकने के बाद उसका खाता एनपीए घोषित किया गया। कई वर्षों में कंपनी ने कई बार समझौता करने की कोशिश की और करीब ₹1.5 करोड़ किस्तों में चुकाए, पर समयसीमा का पालन नहीं कर पाई। एसबीआई ने लगभग ₹8 करोड़ की वसूली के लिए गिरवी संपत्तियों की नीलामी शुरू की।
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साल 2020 में एसबीआई ने बड़ी बकाया रकम छूट पर निपटाने के लिए ओटीएस योजना शुरू की। तान्या एनर्जी ने पहले के भुगतान का हवाला देते हुए और आगे भुगतान का आश्वासन देकर आवेदन किया। एसबीआई ने पुराने डिफॉल्ट और जारी कानूनी विवादों का हवाला देकर आवेदन खारिज कर दिया। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की एकल पीठ और फिर डिवीजन बेंच ने बैंक को प्रस्ताव पर दोबारा विचार का आदेश दिया, जिसके बाद एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
अदालत की टिप्पणियां
सर्वोच्च पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनीं। एसबीआई ने तर्क दिया कि कोई रिट याचिका बैंक को समझौता करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती और उधारकर्ता ने बार-बार वादे तोड़े। तान्या एनर्जी ने जवाब में कहा कि उसने पहले ही पर्याप्त रकम जमा कर दी है और ओटीएस 2020 योजना के तहत निष्पक्ष सुनवाई की हकदार है।
न्यायमूर्ति दत्ता ने एक अहम चूक पर ध्यान दिलाया: उधारकर्ता ने योजना के तहत प्रस्तावित निपटान राशि का अनिवार्य 5 प्रतिशत अग्रिम भुगतान कभी नहीं किया। पीठ ने टिप्पणी की, “यह साफ़ है कि इस योजना का लाभ लेने का आवेदन तभी संसाधित होगा जब वह अग्रिम भुगतान के साथ हो।”
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कोर्ट ने हाईकोर्ट की अनदेखी की आलोचना की। फैसले में कहा गया, “‘नॉट एलिजिबल’ क्लॉज में शामिल न होना स्वचालित पात्रता नहीं देता,” और जोड़ा कि एसबीआई को आवेदन खारिज करने में उचित ठहराया जा सकता है, भले उसने पहले अन्य कारण बताए हों।
फैसला
एसबीआई की अपील स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एकल पीठ और डिवीजन बेंच दोनों के आदेश रद्द कर दिए। अब बैंक को शेष गिरवी संपत्तियों की नीलामी और वसूली की कार्यवाही जारी रखने की पूरी छूट है। फिर भी संतुलन बनाते हुए पीठ ने कहा कि तान्या एनर्जी 2020 योजना से बाहर नया समझौता प्रस्ताव दे सकती है और एसबीआई शर्तें उचित होने पर उस पर विचार कर सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका यह निर्णय ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) में लंबित कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा।
मामला: सहायक महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम तान्या एनर्जी एंटरप्राइजेज
उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1119
मामले का प्रकार: सिविल अपील संख्या 11134/2025 (विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 2456/2025 से उत्पन्न)
निर्णय की तिथि: 15 सितंबर 2025