पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को वकीलों को फटकार लगाई, जो बार-बार लाइव सुनवाई के दौरान मोबाइल फोन पर गूगल या एआई प्लेटफार्म के जरिए जानकारी खोजने पर निर्भर रहते हैं। जस्टिस संजय वशिष्ठ ने इस व्यवहार पर स्पष्ट नाराज़गी जताई, जब उन्होंने बहस के बीच अधिवक्ताओं को फोन पर स्क्रॉल करते देखा।
यह मामला RXXXXXX बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा (CRM-M-31392-2025) से जुड़ा था। सुनवाई के दौरान जज ने नोट किया कि अधिवक्ता बेंच के सवालों का जवाब पाने के लिए फोन का सहारा ले रहे थे। अदालत ने कहा कि यह दलीलें तैयार करने का तरीका नहीं है। “ऐसी जानकारी,” बेंच ने कहा, “पहले से बहस की तैयारी करते समय इकट्ठा कर ली जानी चाहिए थी।”
यह पहली बार नहीं हुआ है। पिछले महीने ही एक अन्य मामले (रवनीत सिंह संधू @ मनवीर सिंह बनाम यूटी चंडीगढ़) में अदालत ने मोबाइल फोन जब्त तक कर लिया था। इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के संज्ञान में भी लाया गया था।
जस्टिस वशिष्ठ ने जोर देकर कहा कि मोबाइल पर निर्भरता के कारण कार्यवाही बाधित हो रही है। कई बार न्यायाधीशों को रुकना पड़ता है जब तक अधिवक्ता ऑनलाइन सामग्री नहीं खोज लेते।
जज ने कहा,
“बार के सदस्य अदालत को कठोर आदेश पारित करने के लिए विवश न करें, बार-बार मोबाइल फोन का उपयोग कर खुद को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या गूगल जानकारी से अपडेट करने की कोशिश करते हुए।”
बेंच ने निर्देश दिया कि इस आदेश को भी बार एसोसिएशन अपने सदस्यों तक चेतावनी के तौर पर पहुंचाए। अब मामले की सुनवाई 20 नवंबर 2025 तक स्थगित कर दी गई है। लेकिन अदालत का संदेश साफ था-अधिवक्ता पूरी तैयारी के साथ आएं, न कि अदालत में गैजेट्स पर निर्भर होकर।
Case details:
RXXXXXX v. State of Haryana, CRM-M-31392-2025
Ravneet Singh Sandhu @ Manveer Singh v. UT of Chandigarh, CRM-M-50544-2025