जलगांव चीनी मिल विवाद में EPF बकाया और बैंक के बीच प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मजदूरों और बैंक-दोनों को राहत

By Vivek G. • November 21, 2025

जलगांव जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य, सुप्रीम कोर्ट ने जलगांव चीनी मिल मामले में PF बकाया को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, बैंक की वसूली उससे बाद में होगी। महत्वपूर्ण कानूनी स्पष्टीकरण।

महाराष्ट्र के संकटग्रस्त औद्योगिक क्षेत्रों पर असर डालने वाले एक अहम फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह स्पष्ट कर दिया कि बंद पड़ी जलगांव की चीनी मिल की नीलामी से मिलने वाली रकम मजदूरों के भविष्य निधि (PF) बकाया और बैंक के दावे के बीच कैसे बांटी जाएगी। कोर्ट कक्ष में दोनों पक्षों की ओर से तीखी बहसें हुईं, और पीठ ने कई बार जटिल कानूनी धाराओं को आम भाषा में समझाते हुए रुककर बातें समझाई। सुनवाई के दौरान एक मौके पर पीठ ने टिप्पणी की, “कानून द्वारा बनाया गया ‘फ़र्स्ट चार्ज’ बाद में आने वाली किसी प्राथमिकता से हटाया नहीं जा सकता।”

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पृष्ठभूमि

यह विवाद जलगांव की एक सहकारी चीनी मिल से जुड़ा है, जो भारी घाटे में जाने के बाद वर्ष 2000 में बंद हो गई थी। मिल ने अपनी भूमि, मशीनरी और स्टॉक जलगांव जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के पास बंधक रखे थे, जिसने बाद में SARFAESI कानून के तहत संपत्तियों पर कब्ज़ा कर लिया।

दूसरी ओर, मजदूरों का दावा था कि वर्षों की तनख्वाह और PF राशि बकाया है। औद्योगिक न्यायालय में उनकी याचिका देरी के आधार पर खारिज कर दी गई थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के एक सिंगल जज ने उन्हें यह अधिकार दिया था कि वे अपनी मांगें लिक्विडेटर के सामने रख सकें।

इस बीच, बैंक की नीलामी योजना को चुनौती देते हुए कई याचिकाएँ दायर हुईं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि नीलामी की रकम “नो-लीन अकाउंट” में रखी जाए और PF राशि बैंक को भुगतान से पहले चुकाई जाए। बैंक ने इस फैसले को चुनौती दी और अपने पक्ष में SARFAESI में 2020 में जोड़े गए सेक्शन 26-E पर विशेष जोर दिया, जो सुरक्षित ऋणदाता को प्राथमिकता देता है।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसका नेतृत्व जस्टिस के. विनोद चंद्रन कर रहे थे, ने दो महत्वपूर्ण प्रावधानों के बीच टकराव पर विस्तार से चर्चा की:

  • SARFAESI का सेक्शन 26-E, जो सुरक्षा हित का पंजीकरण होने के बाद बैंक को प्राथमिकता देता है।
  • EPF कानून का सेक्शन 11(2), जो PF राशि को “स्टैच्यूटरी फ़र्स्ट चार्ज” यानी सर्वोच्च वरीयता देता है।

पीठ ने माना कि बैंक की दलील-कि उसका मॉर्गेज और केंद्रीय रजिस्ट्री में पंजीकरण उसे सर्वोच्च अधिकार देता है-कानूनी रूप से मजबूत है। लेकिन साथ ही जज मजदूरों की उस दलील को भी गंभीरता से सुनते रहे कि PF बकाया एक कल्याणकारी कानून के तहत आता है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

कोर्ट के रुख को स्पष्ट करते हुए जस्टिस चंद्रन का एक वाक्य काफ़ी महत्वपूर्ण रहा- “प्राथमिकता और फ़र्स्ट चार्ज एक जैसी चीज़ नहीं हैं। फ़र्स्ट चार्ज की स्थिति ज़्यादा ऊँची होती है और वह बाद में आए किसी भी प्राथमिकता प्रावधान पर भारी पड़ता है।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मजदूरों का वेतन बकाया अभी तक तय नहीं हुआ है, पर इसका मतलब यह नहीं कि वे आगे दावा नहीं कर सकते। लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट किया गया कि PF बकाया सामान्य वेतन दावों जैसा नहीं होता-यह सबसे ऊपर रखा जाता है।

फैसला

कानूनी मिसालों और कल्याणकारी कानूनों की भावना को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से रद्द कर दिया।

अंतिम दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:

  1. बैंक चीनी मिल की नीलामी की प्रक्रिया जारी रख सकता है।
  2. नीलामी से प्राप्त राशि में सबसे पहले PF बकाया चुकाया जाएगा, जिसमें योगदान, ब्याज, पेनल्टी और डैमेज-सब शामिल होंगे।
  3. PF की पूरी वसूली के बाद ही बैंक अपना सुरक्षित ऋण वसूल कर सकेगा।
  4. मजदूरों को वेतन बकाया तय कराने के लिए संबंधित प्राधिकरण के पास फिर से जाने की स्वतंत्रता दी गई है, और उनकी याचिका देरी के आधार पर खारिज नहीं की जाएगी।
  5. PF और बैंक दोनों के भुगतान के बाद यदि कोई राशि बचती है, तो वह मजदूरों के वेतन दावों में उपयोग की जा सकती है।

इस फैसले के साथ, कोर्ट ने एक संतुलित रास्ता बनाने की कोशिश की है-बैंक के सुरक्षा अधिकार भी सुरक्षित रहें और मजदूरों की PF राशि, जो कानूनन सर्वोच्च प्राथमिकता रखती है, भी पूरी तरह संरक्षित हो।

Case Title: Jalgaon District Central Coop. Bank Ltd. vs. State of Maharashtra & Others

Case No.: Civil Appeal (arising out of SLP (C) No. 27740 of 2011)

Case Type: Civil Appeal (SARFAESI vs. EPF priority dispute)

Court: Supreme Court of India

Jurisdiction: Civil Appellate Jurisdiction

Decision Date: 20 November 2025

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