दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 नवंबर को एक अपील पर सुनवाई करते हुए, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में LLB प्रवेश को लेकर उठे विवाद में दखल देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि भले ही कुछ सीटें खाली रह जाएं, प्रवेश प्रक्रिया को बार-बार फिर से खोलना संभव नहीं है, क्योंकि इससे प्रवेश चक्र “अनवरत और अस्थिर” हो जाएगा।
पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता नेहा मलाव, जो OBC श्रेणी से हैं, ने DU के LLB कार्यक्रम के लिए CUET-PG परीक्षा में 151 अंक प्राप्त किए। चौथे और अंतिम स्पॉट राउंड में OBC कट-ऑफ 155 अंक पर बंद हुआ-जो उनसे सिर्फ चार अंक अधिक था।
उनका आरोप था कि स्पॉट राउंड IV के बाद भी विश्वविद्यालय के पास लगभग 98 सीटें (UR और OBC मिलाकर) खाली थीं। उनका कहना है कि DU ने इन सीटों की स्थिति सार्वजनिक नहीं की, जिससे जैसे योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिला।
सिंगल जज बेंच ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने डिवीजन बेंच के समक्ष यह अपील दायर की।
कोर्ट के अवलोकन
मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने 4 अक्टूबर को याचिका दायर कर दी थी, जो प्रवेश बंद होने के तुरंत बाद की तारीख है, इसलिए विलंब को आधार बनाकर याचिका अस्वीकार नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने “Doctrine of Relation Back” लागू करने की मांग की।
वहीं DU के वकील ने कहा कि इस स्तर पर प्रवेश प्रक्रिया फिर से खोलने से शैक्षणिक कैलेंडर बाधित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अपीलकर्ता पहले ही अंतिम कट-ऑफ से नीचे थीं, और यदि उनकी मांग स्वीकार की गई तो ऐसे कई अन्य उम्मीदवार भी दावा प्रस्तुत करेंगे।
पीठ इस बात पर चिंतित दिखी कि ऐसी छूट का व्यापक असर होगा।
“बेंच ने कहा, ‘यदि आज हम एक और राउंड का निर्देश दें, तो कल कोई और उम्मीदवार नया राउंड मांग लेगा। यह प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी।’”
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के Neelu Arora vs Union of India फैसले का हवाला देते हुए दोहराया कि सीटों का खाली रह जाना प्रवेश प्रक्रिया को दोबारा खोलने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने अपने ही हालिया फैसले Sumit Kumar Singh vs University of Delhi को भी उद्धृत किया, जिसमें प्रवेश प्रक्रिया के अंतिम चरण को छेड़ने से बचने की बात कही गई थी।
न्यायाधीशों ने यह भी उल्लेख किया कि अपीलकर्ता यह तथ्य स्वीकार करती हैं कि उनका स्कोर अंतिम कट-ऑफ से कम था। ऐसे में वे उसी राउंड में “अयोग्य” थीं।
निर्णय
कोर्ट ने माना कि DU पहले ही चार स्पॉट राउंड आयोजित कर चुका है, और 30 सितंबर को प्रवेश बंद करना उचित था। यदि पाँचवाँ राउंड करवाया गया तो “पूरी प्रवेश प्रणाली अस्थिर हो जाएगी।”
अतः अपील खारिज कर दी गई। कोर्ट ने कोई लागत नहीं लगाई।
Case Title: Neha Malav v. Dean (Admissions), University of Delhi & Ors. (2025)
Matter Type: Letters Patent Appeal (LPA No. 666/2025)
Court: High Court of Delhi, Division Bench
Bench: Chief Justice & Justice Tushar Rao Gedela
Date of Decision: 3 November 2025










