दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कस्टम विभाग के प्रति लगभग अधीरता दिखाई, जब उसने जब्त किए गए सोने के आभूषणों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस प्रभा एम. सिंह और जस्टिस मधु जैन की पीठ ने बार-बार पूछा कि विभाग ने अब तक एक साधारण शो-कॉज नोटिस भी क्यों जारी नहीं किया, जबकि यह कानून के तहत बिल्कुल अनिवार्य है।
पृष्ठभूमि
मामले में सुनील कुमार गुप्ता शामिल थे, जो 24 फरवरी 2024 को दुबई से लौटे थे। आईजीआई एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने उनका 160 ग्राम वज़नी सोने का कड़ा और चेन जब्त कर ली थी। उसी दिन उनका बयान भी दर्ज हुआ, लेकिन महीनों बीत गए और कस्टम विभाग ने कोई नोटिस या सुनवाई नहीं की।
उनके वकील ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम जतिन आहूजा के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कड़ा भरोसा जताया और कहा कि “यह बिल्कुल सीधी स्थिति है जहाँ सामान लौटाया ही जाना है।”
कोर्ट की टिप्पणियाँ
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने अपनी नाराज़गी स्पष्ट कर दी।
“कस्टम्स एक्ट की धारा 110 के तहत वैध नोटिस के बिना कानून किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की अनुमति नहीं देता,” पीठ ने कहा, यह संकेत देते हुए कि विभाग ने कानूनी समयसीमा को नजरअंदाज कर दिया है।
न्यायाधीशों ने यह भी नोट किया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है: यदि कस्टम विभाग सामान जब्त करता है तो उसे छह महीनों के भीतर नोटिस जारी करना होगा या अवधि को औपचारिक रूप से बढ़ाना होगा। ऐसा न होने पर सामान की बिना शर्त रिहाई स्वतः लागू हो जाती है।
निर्णय
स्थापित कानून को लागू करते हुए, कोर्ट ने गुप्ता के आभूषणों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया, केवल सामान्य कस्टम ड्यूटी के भुगतान के अधीन। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई जुर्माना, पेनल्टी या ब्याज नहीं लगाया जा सकता।
“वेयरहाउसिंग चार्ज केवल उस तिथि की दर पर होगा जिस दिन सामान जब्त हुआ था,” कोर्ट ने जोड़ा।
गुप्ता को औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए 18 नवंबर 2025, सुबह 11 बजे कस्टम विभाग के सामने उपस्थित होने को कहा गया है।
Case Title:- Sunil Kumar Gupta vs. Commissioner of Customs
Case Type & Number: W.P.(C) 16869/2025
Date of Decision: 7 November 2025










