सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट डेवलपर आलोक कुमार को उनकी कंपनी अग्रणी होम्स से जुड़े कई धोखाधड़ी मामलों में अस्थायी जमानत दे दी है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि उनके खिलाफ दर्ज सभी 81 एफआईआर को एक साथ जोड़ा जाए और इसे एक संयुक्त मामला माना जाए। साथ ही, अदालत ने उनकी रिहाई के लिए सख्त शर्तें भी लगाई हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
आलोक कुमार, जो अग्रणी होम्स के निदेशक हैं, के खिलाफ 81 एफआईआर दर्ज हैं। गृह खरीदारों का आरोप है कि उन्होंने ₹13.94 करोड़ से अधिक की राशि वसूली लेकिन फ्लैट्स की डिलीवरी कभी नहीं हुई। पहली एफआईआर 11 जनवरी 2018 को पटना के शास्त्री नगर थाना में धारा 420 आईपीसी और धारा 138 एनआई एक्ट के तहत दर्ज हुई थी। वे 14 अक्टूबर 2022 से जेल में हैं और अब तक केवल 10 मामलों में ही जमानत मिली थी।
इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने सभी एफआईआर को जोड़ने से इनकार कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि उन्हें अनिश्चितकाल तक जेल में रखना गृह खरीदारों के हित में नहीं होगा।
अदालत की प्रमुख टिप्पणियां
न्यायमूर्ति जे.बी. पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने आदेश देते समय गृह खरीदारों के हित को सबसे अहम बताया।
“याचिकाकर्ता को अनिश्चितकाल तक जेल में रखना गृह खरीदारों के हित में किसी भी तरह से उपयोगी नहीं होगा,” अदालत ने कहा।
अदालत ने निर्देश दिया कि 2018 की पहली एफआईआर को मुख्य एफआईआर माना जाएगा और बाकी सभी एफआईआर को धारा 161 सीआरपीसी के तहत बयान माना जाएगा। यह आदेश सतिंदर सिंह भसीन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2023) मामले में दिए गए फैसले के अनुरूप है।
वित्तीय देनदारी और हलफनामे
- याचिकाकर्ता ने सभी एफआईआर में कुल देनदारी ₹13.94 करोड़ स्वीकार की।
- उन्होंने पहले ही ₹4 करोड़ अदालत में जमा कर दिए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वे रिहाई के छह महीने के भीतर अतिरिक्त ₹9.94 करोड़ जमा करें।
- उनके बेटे शशवत ने भी हलफनामा दायर कर व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने की बात कही, अगर उनके पिता बकाया चुकाने में असफल रहते हैं।
- अदालत के सामने आलोक कुमार और उनकी कंपनियों की संपत्तियों की सूची भी प्रस्तुत की गई है, ताकि उनकी बिक्री या हस्तांतरण बिना अनुमति के न हो सके।
जमानत की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने आलोक कुमार को छह महीने की अस्थायी जमानत दी है, लेकिन कुछ कड़ी शर्तों के साथ:
- छह महीने के भीतर ₹9.94 करोड़ कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करना होगा।
- ₹5 लाख का जमानती बॉन्ड और एक सक्षम जमानतदार पेश करना होगा।
- पासपोर्ट को अदालत में जमा करना होगा (वर्तमान में रेरा के पास है)।
- हर पखवाड़े में एक बार पटना के शास्त्री नगर थाना में उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
- अपनी अथवा कंपनी की किसी भी संपत्ति को अदालत की अनुमति के बिना न तो ट्रांसफर कर सकेंगे और न ही तीसरे पक्ष को बेच सकेंगे।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जमा की गई राशि को अंतिम निपटान नहीं माना जाएगा, बल्कि इसे गृह खरीदारों के बीच बांटा जाएगा।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी 2026 को होगी, जिसमें अदालत यह देखेगी कि उसके निर्देशों का पालन हुआ या नहीं।
केस का नाम: Alok Kumar vs. State of Bihar & Ors.
केस नंबर: Special Leave to Appeal (Crl.) No. 4073/2025