सुप्रीम कोर्ट ने आज (3 फरवरी) को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया कि वह पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ बैठक करे। इस बैठक में फसल विविधीकरण, इन-सीटू और एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन, और जन जागरूकता कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगी। यह निर्देश किसानों द्वारा पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत दिया गया है।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की पीठ एम.सी. मेहता मामले की सुनवाई कर रही थी। इस मामले में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही थी, जिसमें वाहन प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और पराली जलाने जैसे विषय शामिल थे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी पंजाब और हरियाणा सरकारों द्वारा CAQM के आदेशों का पालन न करने पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अधिकारी पराली जलाने पर रोक लगाने में विफल रहते हैं तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
फसल विविधीकरण का अर्थ है एक ही भूमि पर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती करना, जिससे किसान परंपरागत फसलों पर निर्भर न रहें।
इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन: इसमें फसल अवशेषों को जलाने के बजाय खेत में ही छोड़ दिया जाता है ताकि वे प्राकृतिक रूप से विघटित हो सकें।
एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन: इसमें फसल अवशेषों को जलाने की बजाय ईंधन, खाद, या पशु चारे के रूप में पुन: उपयोग किया जाता है।
कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह (Amicus Curiae), अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (CAQM के लिए), और केंद्र सरकार के कृषि विभाग ने धान के अवशेष प्रबंधन पर विस्तृत नोट प्रस्तुत किए।
"हम CAQM को निर्देश देते हैं कि वह पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाए। ये राज्य इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराएं। उनकी प्रतिक्रियाओं और चर्चाओं के आधार पर CAQM अपनी राय प्रस्तुत करेगा।" - सुप्रीम कोर्ट
CAQM को अपनी सिफारिशें 17 मार्च तक प्रस्तुत करनी होंगी, जिसके बाद 28 मार्च को इस पर अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
Read Also:- दिल्ली उच्च न्यायालय ने '2020 दिल्ली' फिल्म रिलीज़ पर याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा
पंजाब सरकार के वकील ने दलील दी कि फसल विविधीकरण को सफल बनाने के लिए किसानों को दो प्रकार की सहायता प्रदान करनी होगी:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- न्यूनतम गारंटीकृत खरीद: वर्तमान में धान की 100% खरीद भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा की जाती है। यदि अन्य फसलों के लिए भी ऐसी नीति बनाई जाती है, तो किसान स्वेच्छा से फसल विविधीकरण को अपनाएंगे।
कोर्ट ने इस प्रस्ताव को भी CAQM बैठक में चर्चा के लिए शामिल करने का निर्देश दिया।
पंजाब के महाधिवक्ता (AG) गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि पंजाब पराली जलाने को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार नहीं हो रहा है।
"15 नवंबर के बाद दिल्ली में कोई पराली जलाने की घटना दर्ज नहीं हुई, लेकिन फिर भी AQI 400 तक पहुंच गया। जनवरी में भी स्थिति खराब बनी हुई है। क्या केवल पंजाब ही इसके लिए जिम्मेदार है?" - पंजाब सरकार
इस पर न्यायमूर्ति अभय ओका ने कहा:"आप सही कह रहे हैं, केवल एक राज्य को दोष नहीं दिया जा सकता।"
Read Also:- दिल्ली हाईकोर्ट ने नकली कैंसर दवा सिंडिकेट से जुड़े PMLA मामले में जमानत रद्द की
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्य रोकने के कारण दिहाड़ी मजदूरों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता का भुगतान कई राज्यों द्वारा सही तरीके से नहीं किया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सबसे कम राशि (₹1000 प्रति मजदूर) दी, लेकिन सबसे अधिक मजदूरों को कवर किया।
हरियाणा सरकार ने लगभग 4 लाख मजदूरों को भुगतान किया।
दिल्ली सरकार ने शुरू में 92,000 मजदूरों को भुगतान किया, बाद में 2,700 और मजदूरों को जोड़ा गया।
कोर्ट ने कहा कि यूपी, दिल्ली और हरियाणा सरकारें इस मामले में अनुपालन नहीं कर रही हैं और उनके मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
"जब तक वे यहां नहीं आते, तब तक उन्हें मजदूरों को भुगतान करना होगा।" - न्यायमूर्ति ओका