दिल्ली हाई कोर्ट ने जगतपुरी में मोहल्ले के झगड़े से जुड़ी पांच साल पुरानी एफआईआर को रद्द कर दिया है, यह देखते हुए कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से विवाद खत्म कर लिया है। न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले को और आगे बढ़ाना बेकार होगा और इससे राज्य की मशीनरी पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा।
पृष्ठभूमि
यह मामला 2020 में जगतपुरी थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 324 (खतरनाक हथियार से चोट पहुँचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (समान इरादे से कई लोगों द्वारा किया गया कृत्य) लगाई गई थी। शिकायतकर्ता, जो याचिकाकर्ता बृज बल्लभ गौड़ के पड़ोसी थे, ने उन पर और उनकी पत्नी पर मारपीट और धमकी देने का आरोप लगाया था।
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सालों की कटुता के बाद दोनों परिवारों ने इस साल जुलाई में समझौता कर लिया। याचिकाकर्ता नंबर 1, उनकी पत्नी और शिकायतकर्ता के बीच लिखित समझौता हुआ। अदालत को बताया गया कि अब उनके बीच शांति है और आपराधिक कार्यवाही जारी रखना निरर्थक होगा।
अदालत की टिप्पणियाँ
जब 19 सितम्बर 2025 को यह मामला सामने आया तो अदालत ने देखा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता, सभी अपनी-अपनी ओर से वकीलों और जांच अधिकारी द्वारा पहचान किए गए, मौजूद थे। शिकायतकर्ता अपने पति के साथ आई थीं और उन्होंने न्यायालय से कहा कि उन्हें "एफआईआर रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं है" क्योंकि पुराना विवाद अब सुलझ चुका है और आपसी संबंध सामान्य हो गए हैं।
न्यायमूर्ति दयाल ने टिप्पणी की कि चूँकि पक्षकार पड़ोसी हैं, इसलिए कटु कानूनी लड़ाई बढ़ाने की बजाय आपसी सौहार्द बनाए रखना अधिक समझदारी है। आदेश में दर्ज है,
"चूँकि दोषसिद्धि की संभावना नगण्य और कमजोर है, इसलिए वर्तमान एफआईआर की कार्यवाही को जारी रखना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।"
फैसला
हालाँकि, एफआईआर को रद्द करने के साथ एक अनोखी शर्त भी रखी गई। याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष वचन दिया कि वे राधेपुरी स्थित शिव मंदिर में कम से कम 50 गरीब बच्चों के लिए दो बार भंडारा करेंगे। एक भंडारा आने वाले नवरात्र में और दूसरा दीपावली के समय आयोजित किया जाएगा।
अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता शपथपत्र के साथ तस्वीरें दाखिल करेंगे, जिससे यह साबित हो कि उन्होंने शर्त पूरी की है। इसकी एक प्रति जांच अधिकारी को भी दी जाएगी।
इस शर्त के साथ न्यायमूर्ति दयाल ने याचिका को मंजूर किया और एफआईआर नंबर 248/2020 को रद्द कर दिया। आदेश का समापन इस स्मरण के साथ हुआ कि सभी पक्षकार समझौते की शर्तों का पालन करेंगे।
Case Title: Brij Ballabh Gaur and Anr. vs. The State of NCT of Delhi and Anr.
Case No.: CRL.M.C. 6500/2025