दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूजलॉन्ड्री की नौ महिला पत्रकारों के खिलाफ कमेंटेटर अभिजीत अय्यर मित्रा द्वारा किए गए आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट्स पर कड़ी आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा कि जब तक वे ट्वीट्स हटाते नहीं हैं, तब तक उनकी ओर से पेश सफाई नहीं सुनी जाएगी।
यह मामला मनीषा पांडे और आठ अन्य पत्रकारों तथा न्यूजलॉन्ड्री द्वारा दायर किया गया है। इसमें आरोप है कि अय्यर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर उनके खिलाफ यौन रूप से अपमानजनक और अपशब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने महिलाओं को “वेश्या” और उनके कार्यस्थल को “कोठा” कहा।
"क्या आप इन आर्टिकल्स का बचाव कर सकते हैं? इस तरह की भाषा, चाहे जो भी पृष्ठभूमि हो, क्या यह समाज में महिलाओं के खिलाफ स्वीकार्य है?... आपको यह हटाना होगा। तभी हम आपकी बात सुनेंगे," न्यायमूर्ति पुरषेन्द्र कुमार कौरा ने मौखिक रूप से टिप्पणी की।
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अय्यर की ओर से पेश अधिवक्ता जय अनंत देहदरई ने कहा कि कोई भी ट्वीट सीधे पत्रकारों को संबोधित नहीं था। लेकिन पीठ ने असहमति जताई और स्पष्ट किया कि ट्वीट्स सीधे वादकारियों पर लक्षित हैं।
बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि न्यूजलॉन्ड्री कोई वैध समाचार संगठन नहीं है और यह संदेहास्पद स्रोतों से आय प्राप्त करता है। हालांकि, अदालत ने मौजूदा सुनवाई में इन दलीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया।
"चाहे आय पर सवाल हों, लेकिन जो बात इस मामले में चुनौती नहीं है, उस पर अभी विचार नहीं किया जा सकता... भले ही किसी को लक्षित न किया गया हो, लेकिन इस तरह की भाषा सार्वजनिक मंच पर स्वीकार्य नहीं है," न्यायाधीश ने कहा।
इस दौरान अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए अभिजीत अय्यर मित्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने की बात कही, जिस पर उन्होंने तुरंत ट्वीट्स हटाने पर सहमति दे दी।
मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह के लिए निर्धारित की गई है। मानहानि याचिका में मित्रा से सार्वजनिक माफी की मांग की गई है और ₹2 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की गई है। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर, उनके X अकाउंट से आपत्तिजनक पोस्ट्स हटाने की मांग की गई है।
इस मामले में पत्रकार मनीषा पांडे, इशिता प्रदीप, सुहासिनी विश्वास, सुमेधा मित्तल, तीस्ता रॉय चौधरी, तसनीम फातिमा, प्रिया जैन, जयश्री अरुणाचलम और प्रियाली ढींगरा शामिल हैं।
उनकी याचिका में कहा गया है कि ये ट्वीट्स "मानहानिपूर्ण, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण हैं, जिनका उद्देश्य महिलाओं की गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना है।"
“कोई भी महिला/व्यक्ति अमानवीय व्यवहार की पात्र नहीं है। कोई भी पेशा अपमान के रूप में इस्तेमाल किए जाने योग्य नहीं है। इन टिप्पणियों से महिलाएं—चाहे पत्रकार हों या यौनकर्मी—उनकी स्वतंत्रता, पहचान और सम्मान से वंचित होती हैं,” याचिका में कहा गया।
याचिका के अनुसार, अय्यर के बयान ना तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आते हैं और ना ही इन्हें आलोचना, व्यंग्य या निष्पक्ष टिप्पणी के रूप में देखा जा सकता है। यह भाषा स्पष्ट रूप से महिलाओं को अपमानित करने और डराने की मंशा से इस्तेमाल की गई है, और साथ ही यह न्यूजलॉन्ड्री संगठन पर भी हमला है।
यह मामला अधिवक्ता उद्धव खन्ना और ध्रुवा विग के माध्यम से दायर किया गया है।
शीर्षक: मनीषा पांडे एवं अन्य बनाम अभिजीत अय्यर मित्रा एवं अन्य।