सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की इन-सर्विस महिला अधिकारियों की रिहाई पर लगाई गई अंतरिम रोक को लेकर स्पष्टता दी है। कोर्ट ने कहा है कि यह रोक उन सभी महिला अधिकारियों पर लागू होगी जिनके मामले वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट, किसी भी हाई कोर्ट या आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (AFT) में लंबित हैं।
यह स्पष्टता सुप्रीम कोर्ट की पीठ — न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह — द्वारा दी गई। यह आदेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (जो यूनियन की ओर से उपस्थित थीं) द्वारा विषय का उल्लेख किए जाने के बाद पारित किया गया।
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"दिनांक 09.05.2025 का आदेश इस प्रकार स्पष्ट किया जाता है:
(i) यह अंतरिम संरक्षण उन सभी अधिकारियों पर लागू होगा जिनके मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
(ii) यह संरक्षण उन अधिकारियों पर भी लागू होगा जिनके मामले आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल या हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अस्थायी व्यवस्था अगली सुनवाई तक जारी रहेगी और यह पक्षों के अधिकारों को प्रभावित किए बिना होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त 2025 को होगी और कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई स्थगन (adjournment) नहीं दिया जाएगा।
इससे पहले, 9 मई 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें इन-सर्विस महिला सेना अधिकारियों की रिहाई पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने कहा था:
"बिना उनके पक्ष में कोई अधिकार सृजित किए, यह निर्देश दिया जाता है कि सभी इन-सर्विस अधिकारियों को अगली तारीख तक रिलीव न किया जाए।"
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारतीय सेना के समर्पण और प्रयासों की सराहना की, विशेष रूप से हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद बढ़े सुरक्षा संकट के संदर्भ में। उन्होंने कहा कि ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में हर नागरिक को सेना के साथ खड़ा होना चाहिए और उनके मनोबल को बढ़ाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अंतिम निर्णय मामलों की मेरिट के आधार पर लिया जाएगा। इस दौरान, सेना इन महिला अधिकारियों की सेवाओं का उपयोग कर सकती है।
केस का शीर्षक: लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा पाल एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य, सी.ए. संख्या 9747-9757/2024 (और संबंधित मामले)