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दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘डमी स्कूलों’ पर सख्त रुख अपनाया, छात्रों को बिना कक्षाओं में भाग लिए परीक्षा देने की अनुमति पर जांच के आदेश

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दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘डमी स्कूलों’ पर सख्त रुख अपनाया, छात्रों को बिना कक्षाओं में भाग लिए परीक्षा देने की अनुमति पर जांच के आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे 'डमी स्कूलों' के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को इन स्कूलों की जांच करने और कानून के तहत उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए कहा कि ये स्कूल उन छात्रों को परीक्षा देने की सुविधा दे रहे हैं जो कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते।

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कोर्ट ने जताई चिंता

कोर्ट ने कहा कि ये 'डमी स्कूल' कोचिंग सेंटरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे छात्र स्कूल जाने के बजाय कोचिंग में समय बिताते हैं। यह न केवल शिक्षा प्रणाली के लिए खतरा है बल्कि छात्रों की पढ़ाई की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है।

"पीआईएल याचिका में यह मुद्दा उठाया गया है कि कुछ स्कूल केवल परीक्षा दिलवाने के उद्देश्य से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि छात्र कभी स्कूल में कक्षा में उपस्थित नहीं होते," कोर्ट ने टिप्पणी की।

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कोर्ट ने यह भी नोट किया कि ये स्कूल दिल्ली से बाहर के छात्रों को दिल्ली निवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) के आधार पर उच्च शिक्षा में आरक्षण का अनुचित लाभ लेने में मदद कर रहे हैं, जिससे दिल्ली के वास्तविक निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

इस मामले को कोर्ट के समक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल ने एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से उठाया था।

इस पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और CBSE को आदेश दिया कि वे:

  • डमी स्कूलों की विस्तृत जांच करें और अपना सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल करें।
  • यदि आवश्यक हो, तो अचानक निरीक्षण (Surprise Inspection) भी करें ताकि सच सामने आ सके।
  • दोषी पाए गए स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें और उन्हें बंद करने के निर्देश दें।

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"हम दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग को निर्देश देते हैं कि वे इस मुद्दे पर एक सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो, तो अचानक निरीक्षण भी करें ताकि सभी आवश्यक जानकारी एकत्र कर CBSE को सौंपी जा सके," कोर्ट ने कहा।

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 मई को निर्धारित की है, जिसमें दिल्ली सरकार और CBSE को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।