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दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP विधायक दुर्गेश पाठक के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज की, "भ्रष्टआचरण" के आरोप निरस्त

Shivam Y.

दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP विधायक दुर्गेश पाठक के चुनाव को वैध ठहराया। अदालत ने कहा, "खर्च सीमा से अधिक व्यय के बिना लेखा-जोखा में चूक भ्रष्ट आचरण नहीं।"

दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP विधायक दुर्गेश पाठक के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज की, "भ्रष्टआचरण" के आरोप निरस्त

4 फरवरी, 2025 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दुर्गेश पाठक के खिलाफ दायर चुनाव याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता रमेश कुमार खत्री ने 2022 के राजिंदर नगर उपचुनाव में पाठक की जीत को "भ्रष्ट आचरण" का आरोप लगाते हुए चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि लेखा-जोखा में कथित चूक भ्रष्ट आचरण की परिभाषा में नहीं आती, जब तक खर्च सीमा न लांघी गई हो।

मामले की पृष्ठभूमि

2022 में राजिंदर नगर (AC-39) की विधानसभा सीट के उपचुनाव हुए थे, जब पूर्व विधायक राघव चड्ढा राज्यसभा के लिए चुने गए। दुर्गेश पाठक ने 40,319 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि स्वतंत्र प्रत्याशी खत्री को केवल 22 वोट मिले। खत्री ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act), 1951 के तहत याचिका दायर कर पाठक के चुनाव को रद्द करने और उन्हें 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने की मांग की।

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खत्री ने आरोप लगाया कि पाठक ने धारा 77(1) और 77(2) का उल्लंघन करते हुए:

दैनिक खर्च का रजिस्टर नहीं रखा।

7 जून, 2022 को अपने खाते में जमा 15 लाख रुपये सहित कई लेनदेन छिपाए।

नामांकन पर 10,310 रुपये खर्च करने के बावजूद 20,000 रुपये नकद होने का झूठा बयान दिया।

पाठक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम नारायण ने कहा कि याचिका में "कानूनी आधार" नदारद है। उन्होंने जोर देकर कहा कि खर्च सीमा से अधिक व्यय के बिना लेखा-जोखा में त्रुटियां भ्रष्ट आचरण नहीं मानी जा सकतीं।

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न्यायमूर्ति पुष्कर्णा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों, जैसे दलचंद जैन बनाम नारायण शंकर त्रिवेदी और एल.आर. शिवरामगौड़ा बनाम टी.एम. चंद्रशेखर का हवाला देते हुए स्पष्ट किया:

"धारा 77(1) और 77(2) का उल्लंघन तभी भ्रष्ट आचरण है, जब उम्मीदवार निर्धारित खर्च सीमा (धारा 77(3)) पार करे।"
— दिल्ली हाई कोर्ट

अदालत ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:

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खर्च सीमा का उल्लंघन नहीं: पाठक का खर्च चुनाव आयोग की निर्धारित सीमा से कम था।

अपर्याप्त आधार: बिना अधिक खर्च के लेखा-जोखा में चूक चुनाव रद्द करने का आधार नहीं।

कानूनी पूर्वाधार: सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि अधूरे लेखा-जोखा से चुनाव परिणाम प्रभावित नहीं होते।