Logo
Court Book - India Code App - Play Store

इरादा एक को मारने का लेकिन मरता कोई और: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 301 IPC के तहत 'ट्रांसमाइग्रेशन ऑफ मोटिव' सिद्धांत की व्याख्या की

6 Feb 2025 8:34 PM - By Shivam Y.

इरादा एक को मारने का लेकिन मरता कोई और: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 301 IPC के तहत 'ट्रांसमाइग्रेशन ऑफ मोटिव' सिद्धांत की व्याख्या की

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 301 के तहत "ट्रांसमाइग्रेशन ऑफ मोटिव" या "दोष के स्थानांतरण" के सिद्धांत को स्पष्ट किया है। इस सिद्धांत के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष व्यक्ति को मारने का इरादा रखता है, लेकिन गलती से किसी और की हत्या कर देता है, तो कानून इसे उसी इरादे से की गई हत्या मानता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह व्याख्या "अशोक सक्सेना बनाम उत्तराखंड राज्य" मामले में दी है।

धारा 301 IPC कहती है:

"यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी चीज़ को करता है जिससे उसे मृत्यु होने की संभावना या इरादा हो, लेकिन इससे किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, जिसकी मृत्यु की न तो उसने योजना बनाई थी और न ही संभावना थी, तो यह अपराध उसी श्रेणी का माना जाएगा जैसा कि उस व्यक्ति की हत्या की योजना बनाई गई थी।"

इसका मतलब है कि यदि किसी अपराधी का निशाना कोई और व्यक्ति था, लेकिन गलती से किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो गई, तो उसे उसी तरह का अपराध माना जाएगा, जैसे कि वह वास्तविक लक्ष्य की हत्या करता।

Read Also:- आपराधिक मामले में बरी होने से विभागीय जांच नहीं रुकेगी: सुप्रीम कोर्ट

यह मामला 1992 में घटित हुआ था, जिसमें अशोक सक्सेना नामक व्यक्ति ने शिकायतकर्ता के घर में घुसकर चाकू से हमला किया।

हालांकि, असली निशाना शिकायतकर्ता था, लेकिन बीच में उसकी पत्नी आ गई और चाकू का वार उस पर हो गया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

निचली अदालत का फैसला (1996): अशोक सक्सेना को बरी कर दिया गया क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध नहीं कर सका।

हाईकोर्ट का फैसला (2010): हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अशोक सक्सेना को धारा 302 IPC (हत्या) के तहत दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला (2025): सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को आंशिक रूप से बदला और आरोपी को धारा 304 भाग-1 IPC (हत्या के समान दोष लेकिन कम सजा) के तहत दोषी ठहराया।
आरोपी की उम्र (74 वर्ष) और 1992 की घटना को देखते हुए उसकी सजा घटा दी गई।

Read Also:- एफआईआर में कुछ आरोपियों का नाम न लेना साक्ष्य अधिनियम की धारा 11 के तहत प्रासंगिक तथ्य: सुप्रीम कोर्ट

"यदि कोई व्यक्ति एक को मारने का इरादा रखता है लेकिन गलती से किसी और को मार देता है, तो कानून उसे वैसा ही अपराध मानता है, जैसे कि उसने अपने वास्तविक लक्ष्य की हत्या की हो।"

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण पुराने केसों का संदर्भ दिया:

ग्यानेंद्र कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1972): आरोपी ने एक व्यक्ति को मारने के लिए गोली चलाई, लेकिन बीच में आ गए रिश्तेदार की मौत हो गई। अदालत ने धारा 302 और 301 IPC के तहत दोषी ठहराया।

हरी शंकर शर्मा बनाम मैसूर राज्य (1979): एक गवाह को मारने की कोशिश में, किसी और की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 301 IPC लागू कर हत्या का मामला माना।

जगपाल सिंह बनाम पंजाब राज्य (1991): आरोपी ने किसी और को निशाना बनाया लेकिन किसी अन्य की मौत हो गई, जिसे हत्या के बराबर अपराध माना गया।

Read Also:- SCAORA ने सुप्रीम कोर्ट में AORs के लिए दिशा-निर्देश और सीनियर डिज़ाइनेशन प्रक्रिया में सुधार पर सुझाव दिए

अब्दुल ईसे सुलेमान बनाम गुजरात राज्य (1995): आरोपी ने भागते हुए किसी पर गोली चलाई, लेकिन एक 10 साल के बच्चे की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इसे धारा 301 IPC के तहत हत्या माना।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि धारा 301 IPC का सिद्धांत पूरी तरह इस केस में लागू होता है।

हालांकि, घटना को 33 साल बीत चुके थे और आरोपी की उम्र 74 साल हो चुकी थी, इसलिए सजा को घटाकर 'सजा जितनी काटी, उतनी पर्याप्त मानी गई'।

Similar Posts

तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक शेयर ट्रांसफर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड को बरी किया

तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक शेयर ट्रांसफर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड को बरी किया

2 Jun 2025 7:11 PM
केरल हाईकोर्ट ने ₹2 करोड़ की रिश्वत मांगने के आरोपी ईडी अधिकारी को गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत

केरल हाईकोर्ट ने ₹2 करोड़ की रिश्वत मांगने के आरोपी ईडी अधिकारी को गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत

2 Jun 2025 9:17 PM
60 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के दोषी 24 वर्षीय युवक की सज़ा दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखी, कहा – स्पष्ट डीएनए रिपोर्ट के होते इलेक्ट्रोफेरोग्राम ज़रूरी नहीं

60 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के दोषी 24 वर्षीय युवक की सज़ा दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखी, कहा – स्पष्ट डीएनए रिपोर्ट के होते इलेक्ट्रोफेरोग्राम ज़रूरी नहीं

11 Jun 2025 3:15 PM
पर्सनल लोन या ईएमआई पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी को नहीं टाल सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

पर्सनल लोन या ईएमआई पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी को नहीं टाल सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

5 Jun 2025 11:34 AM
NHAI ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें मदुरै-तूतीकोरिन राजमार्ग पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई थी।

NHAI ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें मदुरै-तूतीकोरिन राजमार्ग पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई थी।

7 Jun 2025 11:31 AM
सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर सुविधा में भोपाल गैस त्रासदी के अपशिष्ट को जलाने पर रोक लगाने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर सुविधा में भोपाल गैस त्रासदी के अपशिष्ट को जलाने पर रोक लगाने से किया इनकार

4 Jun 2025 6:58 PM
CJI बीआर गवई: कोटा के भीतर उप-वर्गीकरण सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है

CJI बीआर गवई: कोटा के भीतर उप-वर्गीकरण सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है

11 Jun 2025 5:30 PM
कर्नाटक में कमल हासन की फिल्म ठग लाइफ पर 'न्यायिकेतर प्रतिबंध' को चुनौती याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा

कर्नाटक में कमल हासन की फिल्म ठग लाइफ पर 'न्यायिकेतर प्रतिबंध' को चुनौती याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा

9 Jun 2025 3:48 PM
दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएलयू संघ को भविष्य की परीक्षाओं में प्रश्नों पर आपत्ति के लिए अधिक शुल्क लेने से बचने के निर्देश दिए

दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएलयू संघ को भविष्य की परीक्षाओं में प्रश्नों पर आपत्ति के लिए अधिक शुल्क लेने से बचने के निर्देश दिए

6 Jun 2025 9:48 PM
CJI बीआर गवई ने International Seminar में भारतीय मध्यस्थता प्रणाली के लिए 4 प्रमुख सुधारों का सुझाव दिया

CJI बीआर गवई ने International Seminar में भारतीय मध्यस्थता प्रणाली के लिए 4 प्रमुख सुधारों का सुझाव दिया

5 Jun 2025 5:57 PM