भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई ने रविवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के कोल्हापुर सर्किट बेंच का उद्घाटन किया। यह हाईकोर्ट की पाँचवीं पीठ होगी, जो मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और गोवा के बाद स्थापित की गई है। नया बेंच सतारा, सांगली, सोलापुर, कोल्हापुर, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग - इन छह ज़िलों में न्यायिक सेवाएँ उपलब्ध कराएगा, जिससे पश्चिम महाराष्ट्र के लोगों को लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय तक पहुँच मिलेगी।
कोल्हापुर में बेंच की माँग पिछले चार दशकों से लंबित थी। वकील और वादी लगातार मुंबई तक की यात्रा और उससे जुड़े ख़र्चों को लेकर अपनी समस्याएँ सामने रखते रहे थे। सीजेआई गवई ने उद्घाटन को "लंबे समय से संजोए गए सपने की पूर्ति" बताया और याद किया कि किस तरह अधिवक्ताओं ने 45 साल से अधिक समय तक इस संघर्ष को आगे बढ़ाया।
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"जब मैंने इस बेंच का समर्थन किया, तब मेरे मन में वकील नहीं बल्कि वे ग़रीब नागरिक थे, जो अपनी ज़मीन के मामलों के लिए रातभर मुंबई की यात्रा करते थे और वहाँ ठहरने पर हज़ारों रुपये ख़र्च करने पड़ते थे। आज न्याय उनके दरवाज़े तक पहुँचेगा," सीजेआई गवई ने कहा।
कोल्हापुर बेंच का संचालन अब 1874 में निर्मित धरोहर ज़िला अदालत भवन से होगा, जो सीपीआर अस्पताल के सामने स्थित है। इस भवन को 46 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्निर्मित और संरक्षित किया गया है। नए परिसर में डिवीजन बेंच कोर्टरूम, दो सिंगल बेंच कोर्टरूम, मध्यस्थता केंद्र, जजों के कक्ष, सरकारी वकीलों के कार्यालय और आधुनिक रिकॉर्ड-कीपिंग सुविधाएँ शामिल हैं।
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उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराध्ये और कई गणमान्य उपस्थित रहे। सीजेआई गवई ने इस सर्किट बेंच को स्थायी बनाने का भी आग्रह किया और कहा कि यह कदम संविधान में निहित सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को और मजबूत करेगा।
उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि अगले दस वर्षों में कोल्हापुर न्यायिक प्रतिभा का केंद्र बनेगा और यहाँ से भविष्य में हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी सामने आएंगे।