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सुप्रीम कोर्ट ने पारादीप पोर्ट–परेडीप फॉस्फेट्स टैरिफ विवाद TAMP को नए सिरे से भेजा

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने पारादीप पोर्ट–परेडीप फॉस्फेट्स टैरिफ विवाद में पिछले सभी आदेश रद्द करते हुए TAMP को 1993–1999 और संबंधित अवधि के टैरिफ पुनरीक्षण पर नया निर्णय लेने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने पारादीप पोर्ट–परेडीप फॉस्फेट्स टैरिफ विवाद TAMP को नए सिरे से भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने पारादीप पोर्ट अथॉरिटी (PPA) और परेडीप फॉस्फेट्स लिमिटेड (PPL) के बीच लंबे समय से चले आ रहे टैरिफ विवाद में आर्बिट्रेशन अवॉर्ड, अपील प्राधिकरण के आदेश और ओडिशा हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। अब यह मामला टैरिफ अथॉरिटी फॉर मेजर पोर्ट्स (TAMP) को नए सिरे से निर्णय के लिए भेजा गया है।

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मामले की पृष्ठभूमि

यह विवाद 1985 से जुड़ा है, जब PPA (तब पारादीप पोर्ट ट्रस्ट) ने PPL (तब एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई) के साथ "फर्टिलाइज़र बर्थ" के विशेष उपयोग के लिए एक समझौता किया था। इसमें दरें तय की गई थीं और भविष्य में संशोधन केवल आपसी सहमति से होना था।

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1993 में, PPA ने मेजर पोर्ट ट्रस्ट्स एक्ट, 1963 के तहत टैरिफ संशोधित करने का नोटिफिकेशन जारी किया, जिसका PPL ने विरोध किया। मामला आर्बिट्रेशन में गया, और 2002 के अवॉर्ड में अक्टूबर 1993 से मार्च 1999 के बीच वसूले गए अतिरिक्त शुल्क की वापसी का निर्देश दिया गया।

इसके बाद अपील प्राधिकरण और ओडिशा हाई कोर्ट ने आर्बिट्रेटर के फैसले को बरकरार रखा। PPA ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

"सिर्फ इसलिए कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था, इसका मतलब यह नहीं कि वह कानून के प्रावधानों से ऊपर है," कोर्ट ने कहा।

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न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पीठ ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिलाया:

  • अपील प्राधिकरण का आदेश “पूरी तरह संक्षिप्त” था और टैरिफ संशोधन के कानूनी व तथ्यात्मक पहलुओं पर विचार नहीं किया।
  • हाई कोर्ट ने गलत तरीके से माना कि समझौता कानूनी प्रावधानों से ऊपर है।
  • मामला जटिल तकनीकी और आर्थिक पहलुओं से जुड़ा है, जिसे TAMP जैसे विशेषज्ञ निकाय द्वारा जांचा जाना चाहिए।
  • मेजर पोर्ट अथॉरिटीज एक्ट, 2021 के तहत अभी तक कोई ए़डजुडिकेटरी बोर्ड गठित नहीं हुआ है, इसलिए फिलहाल TAMP के पास अधिकार है।

दिए गए आदेश

  1. 1993–1999 की अवधि: कोर्ट ने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड, अपील प्राधिकरण का आदेश और हाई कोर्ट का फैसला रद्द कर TAMP को मामला नए सिरे से सुनने के लिए भेजा।
  2. 1999–2010 की अवधि: कोर्ट ने TAMP के 2011 के आदेश (जिसमें टैरिफ संशोधन से इनकार किया गया था) और हाई कोर्ट की पुष्टि को भी रद्द कर, इसे भी पहले की अवधि के साथ पुनः जांचने का निर्देश दिया।
  3. दोनों पक्षों को सुनवाई का पूरा अवसर देने का निर्देश।

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"टैरिफ दरों में संशोधन पर विचार करने के लिए जरूरी मुद्दों की सही तरीके से जांच नहीं हुई है। TAMP, एक स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय होने के नाते, इस विवाद के समाधान के लिए उपयुक्त मंच है," फैसले में कहा गया।

विवाद से इतर, सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि TAMP या एडजुडिकेटरी बोर्ड के आदेशों पर सुनवाई के लिए एक विशेषज्ञ अपीलीय निकाय बनाया जाए, जैसा कि बिजली, दूरसंचार और प्रतिस्पर्धा कानून जैसे क्षेत्रों में होता है।

मामले का शीर्षक:

  • पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण बनाम पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड
  • पारादीप बंदरगाह के न्यासी बोर्ड बनाम पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड एवं अन्य

मामला संख्या:

  • सिविल अपील संख्या 10542/2025 (विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 9751/2023 से उत्पन्न)
  • सिविल अपील संख्या 10543/2025 (विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 9870/2023 से उत्पन्न)

निर्णय की तिथि: 2025 INSC 971

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