केरल हाई कोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि कोई भी शैक्षिक संस्था, चाहे वह एक चैरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा संचालित हो, यदि वह अपनी कैंटीन के माध्यम से भोजन की आपूर्ति करती है, तो उसे केरल वैल्यू एडेड टैक्स (KVAT) अधिनियम के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यह महत्वपूर्ण निर्णय अन्नूर डेंटल कॉलेज (Annoor Dental College) से जुड़े मामले में आया है, जहां पाया गया कि संस्था ने टर्नओवर सीमा पार कर ली थी लेकिन KVAT अधिनियम के तहत पंजीकरण नहीं कराया था।
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मामला इस बात पर केंद्रित था कि अन्नूर एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा संचालित यह संस्था अपने कैंटीन के ज़रिए मैस फीस और छात्र किट एवं सामग्री की बिक्री से जो आय प्राप्त कर रही थी, क्या उस पर वैट लागू होता है।
KVAT अधिनियम, 2003 की धारा 67(1) के तहत कार्यवाही शुरू की गई क्योंकि कॉलेज ने पंजीकरण नहीं कराया था और मूल्यांकन वर्ष 2013–14 और 2014–15 के लिए वैट का भुगतान भी नहीं किया था।
कॉलेज ने पहले उप आयुक्त (अपील) के समक्ष अपील दायर की, जिन्होंने दंड आदेशों को निरस्त कर दिया। लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्णय को केरल वैट अपीलीय अधिकरण (Tribunal) में चुनौती दी और तर्क दिया कि कैंटीन के माध्यम से भोजन आपूर्ति करने पर संस्था KVAT अधिनियम के तहत पंजीकरण से बच नहीं सकती।
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अपीलीय अधिकरण ने राज्य की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए पाया कि यदि कैंटीन की बिक्री को मैस फीस के रूप में नहीं माना जाता, तो वैट से छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने संस्था को पंजीकरण करने का निर्देश दिया और धारा 25(1) के तहत मूल्यांकन पूरा करने को कहा।
न्यायमूर्ति डॉ. ए.के. जयशंकरन नाम्बियार और न्यायमूर्ति ईश्वरन एस. की खंडपीठ ने कॉलेज द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा:
“अपीलीय अधिकरण ने संस्था के खिलाफ कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया है, बल्कि केवल यह निर्देश दिया है कि यह जांच की जाए कि क्या मैस फीस वास्तव में कैंटीन बिक्री के रूप में ली जा रही है।”
कोर्ट ने माना कि इन याचिकाओं में कोई महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न नहीं उठता है और इसलिए हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
- KVAT अधिनियम के तहत “व्यवसाय” और “डीलर” की परिभाषा:
कोर्ट ने धारा 2(ix) और धारा 2(xv) का उल्लेख करते हुए कहा: “यह परिभाषा इतनी व्यापक है कि इसमें हर वह गतिविधि शामिल है जो कोई व्यक्ति अपने मुख्य व्यवसाय के अलावा करता है...” इसलिए, भले ही कॉलेज का मुख्य कार्य शिक्षा देना हो, लेकिन कैंटीन जैसे सहायक कार्य “व्यवसाय” की परिभाषा में आते हैं। - थ्रेशहोल्ड सीमा की दलील अस्वीकार:
कॉलेज ने यह तर्क दिया कि कैंटीन की बिक्री थ्रेशहोल्ड सीमा से कम है, इसलिए पंजीकरण आवश्यक नहीं है। कोर्ट ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा: “यह सच हो सकता है कि कैंटीन की बिक्री सीमा के भीतर हो, लेकिन केवल इस आधार पर संस्था यह नहीं कह सकती कि वह KVAT अधिनियम के तहत पंजीकरण से मुक्त है।” - कैंटीन बिक्री बनाम मैस फीस:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रिब्यूनल ने सीधे टैक्स लगाने का आदेश नहीं दिया, बल्कि यह जांचने को कहा कि जो फीस ली जा रही है, क्या वह मैस फीस के रूप में है या नहीं। अंतिम कर दायित्व इसी जांच पर निर्भर करेगा।
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संस्था ने अपने पक्ष में उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक निर्णय (Scholors Home Senior Secondary School v. State of Uttarakhand) का हवाला दिया, जिसमें शैक्षिक संस्थानों की सहायक सेवाओं पर कर नहीं लगाने की बात थी। केरल हाई कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा:
“वह निर्णय उस राज्य के विशेष तथ्यों और कानूनों पर आधारित था, जो KVAT अधिनियम से काफी अलग है।”
केरल हाई कोर्ट ने अंत में कहा:
“इन पुनरीक्षण याचिकाओं में कोई महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न नहीं उठता। हमें इनमें कोई दम नहीं दिखता। इसलिए ये याचिकाएं खारिज की जाती हैं।”
कोई लागत आदेश पारित नहीं किया गया।
उपरोक्त के मद्देनजर, पीठ ने पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया।
केस का शीर्षक: मेसर्स अनूर डेंटल कॉलेज बनाम केरल राज्य
केस नंबर: ओटी.आरईवी नंबर 4 ऑफ 2025
याचिकाकर्ता/करदाता के वकील: पी.एन. दामोदरन नंबूदरी और ऋत्विक डी. नंबूदरी
प्रतिवादी/विभाग के वकील: रेस्मिता रामचंद्रन