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तमिलनाडु मूर्ति चोरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व IPS अधिकारी पोन मणिकवेल और CBI को मीडिया बयान देने से रोका

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु मूर्ति चोरी मामले में रिटायर्ड IPS अधिकारी पोन मणिकवेल और CBI अधिकारियों को मीडिया में बयान देने से रोका। मणिकवेल ने इंटरव्यू न देने का वादा किया।

तमिलनाडु मूर्ति चोरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व IPS अधिकारी पोन मणिकवेल और CBI को मीडिया बयान देने से रोका

तमिलनाडु की बहुचर्चित मूर्ति चोरी मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड IPS अधिकारी पोन मणिकवेल और CBI अधिकारियों को मीडिया में बयान देने से रोक दिया है।

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जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दायर किया था। याचिका में मणिकवेल की जमानत शर्तों में दो और शर्तें जोड़ने की मांग की गई थी—पासपोर्ट जमा कराना और मीडिया इंटरव्यू न देना।

“इस मामले को लेकर श्री मणिकवेल कोई भी बयान प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नहीं देंगे,” यह बात उनके वकील ने कोर्ट में कही।

सीनियर एडवोकेट एस. नागमुत्तु, जो मणिकवेल की ओर से पेश हुए, उन्होंने कोर्ट को बताया कि मणिकवेल का पासपोर्ट जल्द ही समाप्त होने वाला है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नया पासपोर्ट जारी होते ही वह उसे संबंधित प्राधिकरण के समक्ष जमा कर देंगे। साथ ही, वह ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाएंगे।

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मीडिया बयानों को लेकर नागमुत्तु ने कहा कि मणिकवेल मामले से जुड़ी कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि CBI अधिकारियों को भी बयान देने से रोका जाए। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और दोनों पक्षों को निर्देश दिए।

“जब तक कार्यवाही लंबित है, आरोपी और जांच अधिकारी दोनों ही मीडिया में कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे,” पीठ ने कहा।

यह मामला 2005 में पझवूर मंदिर से मूर्तियों की चोरी को लेकर दर्ज की गई FIR से जुड़ा है, जिसमें निलंबित DSP कादर बाचा आरोपी हैं। उन्हें चोरी में मिलीभगत के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाचा ने आरोप लगाया कि मणिकवेल ने उन्हें झूठा फंसाया और फिर जमानत मिलने के बाद मीडिया में इंटरव्यू देकर जमानत शर्तों का उल्लंघन किया।

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अगस्त 2024 में मद्रास हाईकोर्ट ने मणिकवेल को अग्रिम जमानत दी थी, जिसमें शर्त थी कि वह चार सप्ताह तक रोज़ सुबह 10:30 बजे CBI के सामने पेश होंगे, और जांच या ट्रायल के दौरान किसी भी गवाह या साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

मणिकवेल द्वारा इंटरव्यू देने के बाद, बाचा ने CBI को शिकायत दी थी कि इससे जांच में दखल और जमानत शर्तों का उल्लंघन हो रहा है। इसी आधार पर CBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

इससे पहले मार्च 2025 में, बाचा ने मद्रास हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर की थी जिसमें मणिकवेल के इंटरव्यू पर आपत्ति जताई गई थी। उस दौरान मणिकवेल ने अदालत को बताया कि उन्होंने तब से कोई इंटरव्यू नहीं दिया है और भविष्य में भी नहीं देंगे। कोर्ट के निर्देश पर उन्होंने यह बात लिखित रूप में भी दी, जिसके बाद याचिका निपटा दी गई।

मामले का शीर्षक: CENTRAL BUREAU OF INVESTIGATION बनाम ए. जी. पोन मणिकवेल, SLP(Crl) No. 7200/2025

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