सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह उन मामलों को प्राथमिकता पर ले, जहां ट्रायल स्थगित है, खासतौर पर लैंडलॉर्ड-टेनेंट विवादों में। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में शीघ्र सुनवाई की जानी चाहिए ताकि अनावश्यक देरी से बचा जा सके।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह निर्देश लैंडलॉर्ड राजत गेरा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता ने बताया कि किरायेदार तरुण रावत के खिलाफ कब्जा खाली करने की कार्यवाही हाई कोर्ट के स्टे आर्डर की वजह से अटकी हुई है। गेरा ने मामले की जल्द सुनवाई की मांग की ताकि विवाद का शीघ्र निपटारा हो सके।
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कोर्ट ने मामलों की भरमार को स्वीकार करते हुए कहा कि ट्रायल पर स्टे, खासकर लैंडलॉर्ड-टेनेंट विवादों में, मामलों को लंबा खींच देता है। पीठ ने कहा:
"हालांकि, हम इस बात से अवगत हैं कि हाई कोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं लंबित हो सकती हैं, फिर भी हमें यह कहना पड़ रहा है कि जिन मामलों में हाई कोर्ट ने ट्रायल पर स्टे लगा रखी है, खासकर लैंडलॉर्ड-टेनेंट के बीच के मामलों में, उनकी शीघ्र सुनवाई होनी चाहिए। ट्रायल पर स्टे लगने से कार्यवाही के निपटारे में अनावश्यक देरी होती है।"
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पीठ ने आगे हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों को तरजीही आधार पर सुनकर जल्द से जल्द निपटाया जाए, और यह कानून के अनुरूप हो। इस आदेश की एक प्रति इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भी भेजी गई है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने लैंडलॉर्ड-टेनेंट मामलों में स्टे पर लगे ट्रायल को जल्द निपटाने पर जोर दिया।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट को ऐसे मामलों को तरजीही सुनवाई देने को कहा गया।
- यह फैसला उन लैंडलॉर्ड्स के लिए फायदेमंद है, जो स्टे आर्डर के कारण कब्जा खाली कराने की कार्यवाही में देरी का सामना कर रहे हैं।
केस : रजत गैरा बनाम तरुण रावत