भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को तत्काल विशेष जरूरतों वाले बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षकों की स्वीकृत पदों की पहचान और अधिसूचना करने का महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने जारी किया, जिसका उद्देश्य योग्य शिक्षकों की भारी कमी को दूर करना है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह आदेश राजनीश कुमार पांडेय बनाम भारत संघ एवं अन्य (Writ Petition (Civil) No. 132/2016) में दायर जनहित याचिका (PIL) के जवाब में जारी किया गया था। याचिका में भारत में विशेष शिक्षकों की भारी कमी को उजागर किया गया, जिससे विकलांग बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों, विशेष रूप से अक्टूबर 2021 के फैसले, के बावजूद अधिकांश राज्यों ने शिक्षक भर्ती के निर्देशों का पालन नहीं किया। इस कारण, अदालत ने फिर से कड़ा रुख अपनाते हुए अनुपालन के लिए ठोस योजना बनाई।
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कोर्ट के प्रमुख निर्देश
7 मार्च 2025 को जारी इस नवीनतम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित आवश्यक निर्देश दिए:
स्वीकृत पदों की अधिसूचना: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष शिक्षा शिक्षकों की आवश्यक संख्या की पहचान करनी होगी और इन स्वीकृत पदों की अधिसूचना तीन सप्ताह (28 मार्च 2025 तक) के भीतर करनी होगी।
रिक्तियों का विज्ञापन: अधिसूचना के बाद, इन पदों को कम से कम दो प्रमुख समाचार पत्रों और आधिकारिक शैक्षिक विभाग तथा सरकारी वेबसाइटों पर प्रकाशित करना होगा।
चयन और नियुक्ति: एक चयन समिति का गठन किया जाना चाहिए, जो योग्य शिक्षकों की भर्ती करेगा। केवल वही उम्मीदवार पात्र माने जाएंगे जिनके पास आरसीआई (Rehabilitation Council of India) प्रमाणन होगा।
संविदा शिक्षकों का नियमितीकरण: कई राज्य संविदा या अस्थायी शिक्षकों पर निर्भर हैं, जिनमें से कुछ 20 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन शिक्षकों का स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा मूल्यांकन किया जाए।
स्क्रीनिंग कमेटी का गठन: प्रत्येक राज्य में एक तीन-सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी बनाई जानी चाहिए, जिसमें शामिल होंगे:
- राज्य विकलांगता आयुक्त (यदि अनुपलब्ध हो, तो विधि सचिव को नियुक्त किया जाएगा)।
- शिक्षा विभाग के सचिव।
- आरसीआई का एक नामांकित विशेषज्ञ।
शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात का अनुपालन: केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अनुपात की पुनः पुष्टि की गई:
- प्राथमिक विद्यालय: 10 छात्रों पर 1 शिक्षक।
- माध्यमिक एवं उच्च विद्यालय: 15 छात्रों पर 1 शिक्षक।
निर्देशों के अनुपालन की समय-सीमा: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन निर्देशों का पालन 7 मार्च 2025 से 12 सप्ताह के भीतर करना होगा।
वेतनमान समायोजन: स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद पात्र पाए गए शिक्षकों को विशेष शिक्षक वेतनमान पर रखा जाएगा, जो नियुक्ति की तिथि से प्रभावी होगा (पिछले समय के लिए नहीं)।
सुप्रीम कोर्ट का बयान- "हम इसे पूरी तरह से स्पष्ट कर देते हैं कि वेतनमान का लाभ केवल नियुक्ति की तिथि से लागू होगा और पिछली अवधि के लिए नहीं... जिन राज्यों में पहले से ही स्वीकृत पद हैं, वे तुरंत चयन प्रक्रिया शुरू करें।"
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कुछ राज्यों में चुनौतियाँ
कोर्ट ने यह भी माना कि सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी के कारण नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा आ रही है। हालांकि, अदालत ने इन राज्यों को निर्देश दिया कि वे योग्य शिक्षकों की उपलब्धता के अनुसार भर्ती प्रक्रिया शुरू करें।
राज्यों में विशेष जरूरतों वाले छात्रों की संख्या
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष जरूरतों वाले बच्चों की संख्या की समीक्षा की:
- उत्तर प्रदेश: 3,01,718
- पश्चिम बंगाल: 1,35,796
- केरल: 1,23,831
- मध्य प्रदेश: 1,20,764
- तमिलनाडु: 1,00,460
- बिहार: 85,344
- ओडिशा: 86,689
- राजस्थान: 71,929
- छत्तीसगढ़: 73,765
- पंजाब: 47,979
- दिल्ली: 32,398
न्यायालय का उद्धरण- "कई आदेशों के बावजूद, अधिकांश राज्यों ने कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है। चूंकि अब हमारे पास विशेष जरूरतों वाले बच्चों की संख्या का सटीक डेटा है, इसलिए राज्यों को कम से कम स्वीकृत पदों की पहचान कर लेनी चाहिए थी।"
सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन की समीक्षा के लिए अगली सुनवाई की तिथि 15 जुलाई 2025 निर्धारित की है।
केस का शीर्षक: रजनीश कुमार पांडे एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य, रिट याचिका(याचिकाएँ)(सिविल) संख्या. 132/2016