22 जुलाई को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा तिरंगे झंडे के साथ अपने चुनाव चिह्न के उपयोग को चुनौती दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के स्थान पर मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन, और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका संजय भीमाशंकर थोबडे ने व्यक्तिगत रूप से दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि कुछ राजनीतिक दल, विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अपने प्रचार में राष्ट्रीय ध्वज के तिरंगे रंग का उपयोग कर रही हैं और उसमें अशोक चक्र की जगह अपने पार्टी चिह्न लगा रही हैं।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह कार्य राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है।
“कुछ पार्टियां राष्ट्रीय झंडे पर अपना चुनाव चिह्न लगा रही हैं... कांग्रेस पार्टी ऐसा कर रही है,”
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा।
हालांकि, पीठ ने इस याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की:
“कब से ऐसा कर रहे हैं? कुछ पार्टियां तो आज़ादी से पहले से ऐसा कर रही हैं।”
इसके बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इसमें कोई विधिक आधार नहीं है।
इस याचिका में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को पक्षकार बनाया गया था। साथ ही, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और भारत सरकार को भी उत्तरदायी पक्ष के रूप में जोड़ा गया था।
मामला: संजय भीमाशंकर थोबडे बनाम भारत संघ व अन्य | डायरी नंबर: 56966-2024