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Bihar Voter List संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट विपक्षी नेताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा Bihar Voter List के चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

Bihar Voter List संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

भारतीय सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में विभिन्न राजनीतिक नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा बिहार में भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा Voter List के विशेष गहन संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

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इस मामले पर न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ विचार कर रही है।

ये याचिकाएँ प्रमुख विपक्षी नेताओं महुआ मोइत्रा (तृणमूल कांग्रेस), मनोज कुमार झा (राष्ट्रीय जनता दल) और केसी वेणुगोपाल (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस), सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी - सपा), डी राजा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी), हरिंदर मलिक (समाजवादी पार्टी), अरविंद सावंत (शिवसेना - यूबीटी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और दीपांकर भट्टाचार्य (सीपीआई-एमएल लिबरेशन) द्वारा दायर की गई हैं। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) भी याचिकाकर्ताओं में शामिल है।

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इसके अलावा, प्रमुख नागरिक समाज संगठन और कार्यकर्ता भी इस कानूनी चुनौती में शामिल हो गए हैं। इनमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) और राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं का तर्क है, "चुनाव से ठीक पहले बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण करने के चुनाव आयोग के कदम ने पारदर्शिता और वैधता को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं।"

इन याचिकाओं के समानांतर, एक जनहित याचिका (PIL) भी दायर की गई है जिसमें अदालत से हर चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन अनिवार्य करने का आग्रह किया गया है ताकि सटीकता बनाए रखी जा सके और हेरफेर या बहिष्कार को रोका जा सके।

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पीठ सभी संबंधित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी: अदालत ने टिप्पणी की, "Voter List Bihar संशोधन से संबंधित सभी मामलों पर सामूहिक रूप से विचार किया जाएगा।"

सुनवाई अभी जारी है और सभी की निगाहें बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में चुनाव आयोग की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के संबंध में शीर्ष अदालत के रुख पर टिकी हैं।

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नोट: इस मामले में आगे की कानूनी प्रगति और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किसी भी निर्देश के लिए हमारे पेज पर बने रहें।