Logo
Court Book - India Code App - Play Store

सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि रद्द की, जांच में खामियां और अभियोजन पक्ष की कमजोरी को बताया कारण

10 Feb 2025 11:38 AM - By Shivam Y.

सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि रद्द की, जांच में खामियां और अभियोजन पक्ष की कमजोरी को बताया कारण

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गम्भीर आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसे पहले निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने मौत की सजा दी थी। यह मामला उत्तर प्रदेश के एक गांव में छह पारिवारिक सदस्यों की निर्मम हत्या से जुड़ा था।

"अभियोजन पक्ष के मामले में इतने बड़े छेद हैं कि उन्हें भरा नहीं जा सकता," अदालत ने टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता शामिल थे, ने पाया कि इस मामले में की गई पुलिस जांच त्रुटिपूर्ण थी और अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपी ने अपराध किया था।

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवेदक को उत्तर देने का मौका दिए बिना मामला बंद करना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है।

अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ तीन मुख्य बिंदुओं— मकसद (मोटिव), अंतिम बार देखे जाने (लास्ट सीन), और बरामदगी (रिकवरी)— पर अपना केस बनाया था, लेकिन ये तीनों बिंदु अदालत में टिक नहीं पाए।

1. मकसद साबित नहीं हुआ

अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी का अपने भाई के साथ जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद था, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया। न ही जमीन की बिक्री से संबंधित कोई दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत किए गए।

"केवल एक गवाह के बयान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अभियोजन पक्ष को ठोस सबूत देने होंगे, न कि केवल आरोप लगाने होंगे," सुप्रीम कोर्ट ने कहा।

2. ‘अंतिम बार देखे जाने’ का सिद्धांत कमजोर

गवाहों के अनुसार, आरोपी को घटना की रात से कई घंटे पहले देखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संदिग्ध मानते हुए कहा कि गवाह की गवाही अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगती है।

"यदि आरोपी घटना से कई घंटे पहले कहीं देखा गया था, तो इसे निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता कि वही अपराधी है।"

Read Also:- आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए प्रताड़ना इतनी गंभीर होनी चाहिए कि पीड़ित के पास कोई अन्य विकल्प न बचे: सुप्रीम कोर्ट

3. बरामदगी (रिकवरी) पर संदेह

पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार आरोपी के घर से बरामद किए जाने का दावा किया था, लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि हथियारों पर मिले खून का समूह (ब्लड ग्रुप) मृतकों से मेल खाता था या नहीं।

"अकेले बरामदगी को साक्ष्य नहीं माना जा सकता जब तक कि इसे वैज्ञानिक प्रमाणों से समर्थित न किया जाए," अदालत ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना की।

कोई स्वतंत्र गवाह नहीं लिया गया – पुलिस ने केवल पारिवारिक गवाहों पर भरोसा किया, जो हितधारक (interested witnesses) थे।

फॉरेंसिक जांच की खामियां – बरामद वस्तुओं की सही तरीके से जांच नहीं कराई गई।

अभियोजन की लचर पैरवी – अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान विरोधाभासी थे।

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवेदक को उत्तर देने का मौका दिए बिना मामला बंद करना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है।

"इतने बड़े अपराध की जांच इतने लापरवाह तरीके से करना न केवल अभियोजन की विफलता को दर्शाता है, बल्कि आरोपी के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है," न्यायालय ने कहा।

अदालत ने यह मानते हुए कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अपराध को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा, दोषसिद्धि को रद्द कर दिया और आरोपी को तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया।

"अदालत केवल संभावना (probability) के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती। यह संदेह से परे साबित होना चाहिए, न कि अटकलों पर आधारित होना चाहिए," सुप्रीम कोर्ट का फैसला।

Similar Posts

छोटे बच्चों की देखभाल के मद्देनज़र इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति की हत्या के आरोपी महिला को जमानत दी

छोटे बच्चों की देखभाल के मद्देनज़र इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति की हत्या के आरोपी महिला को जमानत दी

Apr 27, 2025, 10 h ago
एनडीपीएस मामले में अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को दी गई जमानत के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

एनडीपीएस मामले में अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को दी गई जमानत के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

Apr 26, 2025, 1 day ago
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार मामलों में साक्ष्य कानून की गलत व्याख्या पर हरियाणा ACB को फटकार लगाई, कहा – 'पुलिस कोर्ट बन गई है'

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार मामलों में साक्ष्य कानून की गलत व्याख्या पर हरियाणा ACB को फटकार लगाई, कहा – 'पुलिस कोर्ट बन गई है'

Apr 25, 2025, 2 days ago
नोटबंदी के दौरान नकद जमा पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुनर्मूल्यांकन रद्द किया, आयकर नोटिस में दायरे से बाहर जाने पर दी टिप्पणी

नोटबंदी के दौरान नकद जमा पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुनर्मूल्यांकन रद्द किया, आयकर नोटिस में दायरे से बाहर जाने पर दी टिप्पणी

Apr 27, 2025, 12 h ago
सुप्रीम कोर्ट: यदि आपराधिक आरोप, साक्ष्य समान हों और आरोपी बरी हो चुका हो तो अनुशासनात्मक बर्खास्तगी टिक नहीं सकती

सुप्रीम कोर्ट: यदि आपराधिक आरोप, साक्ष्य समान हों और आरोपी बरी हो चुका हो तो अनुशासनात्मक बर्खास्तगी टिक नहीं सकती

Apr 25, 2025, 2 days ago