सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उनके भतीजे और भाजपा नेता विजय बघेल द्वारा दायर चुनाव याचिका की ग्राह्यता (Maintainability) को चुनौती देने की अनुमति दी।
यह मामला 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और चुनाव प्रचार पर लागू 48 घंटे की 'मौन अवधि' (Silence Period) के उल्लंघन के आरोपों से जुड़ा है।
विजय बघेल ने आरोप लगाया कि भूपेश बघेल ने मतदान समाप्त होने से पहले की 48 घंटे की अवधि में एक रैली या रोड शो किया, जिसमें उनके समर्थन में नारेबाजी हुई। विजय बघेल के चुनाव एजेंट ने इस घटना को मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया।
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“मौन अवधि का उल्लंघन भ्रष्ट आचरण नहीं माना जा सकता,” यह दलील वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने, अधिवक्ता सुमीर सोढी के साथ मिलकर, भूपेश बघेल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी। उन्होंने कहा कि चुनाव याचिका में कोई ठोस कारण नहीं है और यह विचारणीय नहीं है।
इससे पहले भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत याचिका खारिज करने की अर्जी लगाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
इसके बाद भूपेश बघेल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
“याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वह ग्राह्यता के मुद्दे को हाईकोर्ट-कम-चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष प्रारंभिक मुद्दे के रूप में उठाए,” पीठ ने यह कहते हुए याचिका को वापस लेने की अनुमति दी।
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सुप्रीम कोर्ट ने आगे यह स्पष्ट किया:
“यदि इस प्रकार की कोई अर्जी दायर की जाती है, तो हाईकोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रतिपक्ष को सुनवाई का पूरा अवसर देकर और मामले के गुण-दोष में प्रवेश करने से पहले उस पर निर्णय करे। प्रतिकूल आदेश में की गई टिप्पणियों का उस आवेदन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”
इसका अर्थ है कि अब भूपेश बघेल हाईकोर्ट में याचिका की ग्राह्यता पर प्रारंभिक आपत्ति उठा सकते हैं और कोर्ट को पहले इसी मुद्दे पर निर्णय देना होगा।
यह मामला सिर्फ पारिवारिक राजनीतिक टकराव के कारण ही नहीं बल्कि इस कानूनी प्रश्न के कारण भी चर्चा में है कि चुनावी कानून के तहत "भ्रष्ट आचरण" की स्पष्ट परिभाषा क्या है।
संक्षेप में, कांग्रेस नेता भूपेश बघेल को 2023 के विधानसभा चुनावों में पाटन सीट से विजयी घोषित किया गया था। इसके बाद भाजपा के विजय बघेल ने मौन अवधि उल्लंघन के आरोप लगाते हुए चुनाव याचिका दायर की। अब सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद भूपेश बघेल इस याचिका की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
मामले का शीर्षक: भूपेश बघेल बनाम विजय बघेल व अन्य, विशेष अनुमति याचिका (SLP)(C) संख्या 17768/2025