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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का बीसीआई सचिव और संयुक्त सचिव को तलब करने वाला आदेश रद्द किया

Shivam Y.

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सचिव और संयुक्त सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश दिया गया था, यह कहते हुए कि उनकी माफीनामा स्वीकार कर ली जानी चाहिए थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का बीसीआई सचिव और संयुक्त सचिव को तलब करने वाला आदेश रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के सचिव और संयुक्त सचिव को एक मामले में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, जो बीसीआई चुनावों से संबंधित है।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए कहा:

“मामले की परिस्थितियों को देखते हुए, हाई कोर्ट को बीसीआई सचिव के माफीनामे और हलफनामे को गरिमापूर्वक स्वीकार कर लेना चाहिए था, बजाय इसके कि उन्हें दिल्ली से बेंगलुरु तलब किया जाए। इस दृष्टिकोण से, सचिव और संयुक्त सचिव की उपस्थिति का निर्देश देने वाला उक्त आदेश रद्द और समाप्त किया जाता है।”

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी स्थानांतरण याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि कर्नाटक हाई कोर्ट में लंबित रिट याचिका कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी।

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यह मामला वरिष्ठ अधिवक्ता एस. बसवराज द्वारा कर्नाटक हाई कोर्ट में दायर की गई रिट याचिका से उत्पन्न हुआ था। इस याचिका में कर्नाटक राज्य बार काउंसिल और संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए तुरंत चुनाव कराने के निर्देश की मांग की गई थी।

इस मामले में नोटिस जारी होने के बाद, बीसीआई सचिव ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने 15 दिन का समय मांगा ताकि वे वकील से सलाह ले सकें और आगे की कार्रवाई तय कर सकें। लेकिन हाई कोर्ट ने इस बात पर आपत्ति जताई कि यह पत्र सीधे रजिस्ट्रार जनरल को भेजा गया।

इसके बाद, बीसीआई सचिव ने उक्त पत्र को वापस लेने और बिना शर्त माफी मांगते हुए एक हलफनामा दायर किया। फिर भी, हाई कोर्ट ने बीसीआई के सचिव और संयुक्त सचिव को तलब कर लिया, जिसके चलते बीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

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सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने टिप्पणी की:

“हाई कोर्ट को इतना संवेदनशील होने की क्या आवश्यकता है?”

शुरुआत में यह टिप्पणी आदेश में भी दर्ज की गई थी। हालांकि, प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू के अनुरोध पर आदेश से “संवेदनशील” (touchy) शब्द को हटा दिया गया।

“हाई कोर्ट को सचिव का माफीनामा और हलफनामा स्वीकार कर लेना चाहिए था, बजाय इसके कि वह ‘संवेदनशील’ प्रतिक्रिया दे,” ऐसा पहले आदेश में उल्लेख किया गया था, जिसे बाद में संशोधित किया गया।

मामले में पेश अधिवक्तागण:

  • याचिकाकर्ता (बीसीआई) की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता एस. प्रभाकरण और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड राधिका गौतम
  • प्रतिवादियों की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू

केस का शीर्षक: बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम एस. बसवराज और अन्य, एसएलपी(सी) संख्या 20647/2024