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गैरकानूनी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: "अपराधी को तुरंत जमानत मिलनी चाहिए"

2 Feb 2025 1:50 PM - By Shivam Y.

गैरकानूनी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: "अपराधी को तुरंत जमानत मिलनी चाहिए"

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी को अवैध और असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने पाया कि आरोपी को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 22(2) का उल्लंघन है। इसके चलते, अदालत ने आरोपी को जमानत देने का आदेश दिया।

गैरकानूनी गिरफ्तारी का मामला:

इस मामले में, आरोपी को 5 मार्च 2022 को सुबह 11 बजे दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन ब्यूरो द्वारा हिरासत में लिया गया था। यह कार्रवाई ED द्वारा जारी लुकआउट सर्कुलर (LOC) के तहत की गई थी। हालांकि, ED ने 6 मार्च 2022 को 01:15 बजे उनकी गिरफ्तारी दर्ज की और दावा किया कि उसी दिन दोपहर 3 बजे आरोपी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया गया, जो 24 घंटे की समय-सीमा के भीतर था।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क खारिज कर दिया और कहा कि गिरफ्तारी की आधिकारिक समय-सीमा आरोपी की पहली हिरासत से शुरू होती है, जो 5 मार्च की सुबह 11 बजे थी। इसलिए, आरोपी को 24 घंटे के भीतर पेश न करने से गिरफ्तारी अवैध हो गई।

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ:

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भूयान की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि –

"स्पष्ट रूप से, आरोपी को 5 मार्च 2022 को सुबह 11 बजे हिरासत में लिया गया था, लेकिन उन्हें 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया। यह अनुच्छेद 22(2) का सीधा उल्लंघन है, जिससे गिरफ्तारी अवैध हो जाती है।"

अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी गिरफ्तारी में संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का सम्मान किया जाना आवश्यक है। अगर मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो आरोपी को जमानत दी जानी चाहिए।

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संविधान का अनुच्छेद 22(2): यह प्रावधान कहता है कि किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।

सीआरपीसी की धारा 57: यह कानून गिरफ्तारी के बाद पुलिस को 24 घंटे के भीतर आरोपी को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए बाध्य करता है।

पीएमएलए (PMLA) की धारा 45: ED ने यह तर्क दिया कि आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि PMLA के तहत गिरफ्तारी हुई थी। लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब गिरफ्तारी ही अवैध हो जाती है, तो PMLA की जमानत शर्तें लागू नहीं होतीं।

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सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय:

कोर्ट ने फैसला दिया कि:

-गिरफ्तारी अवैध होने के कारण आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए।

-आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए ED का दावा अमान्य है।

-जब गिरफ्तारी ही असंवैधानिक है, तो जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

अदालत ने ED की अपील को खारिज कर दिया और आरोपी को तुरंत जमानत देने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानून और न्याय के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। यह निर्णय दर्शाता है कि यदि किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी असंवैधानिक पाई जाती है, तो उसे तुरंत जमानत मिलनी चाहिए। यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक अहम कदम है।