मुंबई में टिकाऊ विकास के लिए 'कैरीइंग कैपेसिटी सर्वे' की मांग पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

By Prince V. • April 10, 2025

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में टिकाऊ विकास के लिए 'कैरीइंग कैपेसिटी सर्वे' की मांग पर राज्य सरकार और अन्य विभागों को नोटिस भेजा है।

बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें मुंबई शहर के लिए 'कैरीइंग कैपेसिटी सर्वे' कराने की मांग की गई है। इस सर्वे का मकसद यह जानना है कि शहर में और कितना विकास किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो और लोग आराम से रह सकें।

कैरीइंग कैपेसिटी का मतलब है – किसी जगह पर कितने लोग आराम से रह सकते हैं, बिना उस जगह के संसाधनों पर ज्यादा दबाव डाले और बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, मुंबई महानगरपालिका (BMC), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को नोटिस जारी किया है।

“अगर हमें सही मायनों में टिकाऊ विकास करना है, तो उसे पर्यावरण और शहर के संसाधनों की क्षमता के अनुसार करना होगा,” — याचिका में कहा गया है।

इस याचिका को Conservation Action Trust नामक संस्था ने दाखिल किया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि बिना योजना के हो रहे ज्यादा निर्माण कार्यों से पर्यावरण खराब हो रहा है और लोगों की जिंदगी पर असर पड़ रहा है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि मुंबई में जो नई बिल्डिंग और प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं, उनके लिए पहले यह जांच होनी चाहिए थी कि क्या शहर की सड़कें, पानी, कचरा प्रबंधन, ट्रैफिक और हवा की गुणवत्ता इतनी बढ़ोतरी को सह सकती हैं या नहीं।

इसमें यह भी कहा गया है कि विदेशों में बड़े शहरों की योजना बनाने से पहले इस तरह के सर्वे किए जाते हैं, जिससे यह तय किया जा सके कि कितना विकास ठीक रहेगा।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि जब शहर का विकास उसकी क्षमता से ज्यादा होता है, तो यह लोगों के अच्छे जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का भी उल्लंघन है।

“अगर विकास की वजह से लोगों का स्वास्थ्य, सुविधा और जीवन स्तर बिगड़ता है, तो यह संविधान के तहत उनके अधिकारों का हनन है,” — याचिकाकर्ता का कहना है।“मुंबई के लिए जो नई विकास योजनाएं बनी हैं, जैसे DCPR 2034, उनमें बिना कैरीइंग कैपेसिटी देखे ही ज्यादा निर्माण की इजाजत दे दी गई है,” — याचिका में बताया गया।

अब याचिका में मांग की गई है कि सरकार को आदेश दिया जाए कि वह मुंबई में एक पूरा और सही कैरीइंग कैपेसिटी सर्वे कराए। यह सर्वे निर्माण कार्य, हवा की स्थिति, यातायात, जल निकासी, साफ-सफाई, कचरे का निपटान और जलवायु परिवर्तन जैसे मामलों पर आधारित हो।

अदालत ने सभी संबंधित पक्षों को इस पर जवाब देने को कहा है।

मामला: Conservation Action Trust बनाम महाराष्ट्र राज्य

Recommended