बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर विवाद पर मलबार गोल्ड के खिलाफ मानहानिकारक पोस्ट हटाने का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को आदेश दिया

By Shivam Y. • September 30, 2025

Bombay High Court orders Instagram, Facebook, and others to delete 442 defamatory posts targeting Malabar Gold over Pakistani influencer controversy. - Malabar Gold and Diamonds Limited v. Meta Platforms Inc & Ors.

एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इंस्टाग्राम और फेसबुक सहित बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया है कि वे मलबार गोल्ड एंड डायमंड्स को निशाना बनाते सैकड़ों मानहानिकारक पोस्ट हटा दें। यह विवाद तब खड़ा हुआ जब ब्रांड ने अनजाने में एक ब्रिटेन-स्थित पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर को नियुक्त किया, जिसने बाद में भारत के सैन्य अभियानों की आलोचना की।

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पृष्ठभूमि

मलबार गोल्ड, जो भारत का एक प्रसिद्ध आभूषण खुदरा ब्रांड है, ने बर्मिंघम (यूके) में एक नया शोरूम खोलने की योजना बनाई थी। क्षेत्र में दृश्यता बढ़ाने के लिए कंपनी ने जेएबी स्टूडियोज़ को इन्फ्लुएंसर-आधारित प्रमोशन के लिए नियुक्त किया। चुने गए इन्फ्लुएंसर्स में से एक थीं सुश्री अलीशबा खालिद, जो ब्रिटेन में रहने वाली पाकिस्तानी मूल की इंस्टाग्राम हस्ती हैं।

लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब खालिद के पुराने वीडियो और पोस्ट फिर से सामने आए, जिनमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के सर्जिकल स्ट्राइक की खुलकर निंदा की थी। हालांकि मलबार गोल्ड ने तर्क दिया कि उनका अनुबंध पहलगांव हमले से पहले हुआ था और उन्हें उनकी विवादित रायों की जानकारी नहीं थी, सोशल मीडिया पर माहौल जल्दी ही नकारात्मक हो गया।

वादी के अनुसार, प्रतिस्पर्धियों ने इस मौके का फायदा उठाकर अफवाहें फैलाईं और यह दिखाने की कोशिश की कि मलबार गोल्ड पाकिस्तान का समर्थक है। कंपनी ने अदालत में 442 यूआरएल की सूची प्रस्तुत की, जिनमें उसके खिलाफ मानहानिकारक सामग्री डाली गई थी।

अदालत के अवलोकन

29 सितंबर को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संदीप वी. मर्ने ने कहा कि "यूके-स्थित सोशल इन्फ्लुएंसर की सेवाओं का किसी समय उपयोग करना मानहानिकारक सामग्री फैलाने का कारण नहीं हो सकता।"

मलबार गोल्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नौशाद इंजीनियर ने दलील दी कि कंपनी पहले ही खालिद से संबंध तोड़ चुकी है और उसके राजनीतिक विचारों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराई जा सकती, खासकर तब जब उनकी आलोचनात्मक पोस्ट कंपनी के अनुबंध के बाद आई थीं।

दूसरी ओर, मेटा प्लेटफॉर्म्स के वकील हरित लाखानी और अन्य प्रतिवादियों के प्रतिनिधि मौजूद थे, जबकि कुछ पक्षकार अनुपस्थित रहे, जबकि उन्हें नोटिस दिया गया था। जज ने माना कि ऐसे पोस्ट का निरंतर प्रसार अनुचित है और खासकर त्योहारी सीजन में, जब आभूषणों की बिक्री अपने चरम पर होती है, वादी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

अदालत का निर्णय

अदालत ने अंतरिम संरक्षण देते हुए निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

सामग्री हटाना: मेटा और अन्य प्लेटफॉर्म्स सहित प्रतिवादियों को मलबार गोल्ड द्वारा दिए गए यूआरएल पर मौजूद सभी मानहानिकारक पोस्ट हटाने होंगे।

नई मानहानि पर रोक: प्लेटफॉर्म्स को ऐसे किसी भी नए मानहानिकारक कंटेंट की अनुमति नहीं होगी, जो मलबार गोल्ड को इन्फ्लुएंसर के राजनीतिक बयानों से जोड़ता हो।

भविष्य की निगरानी: यदि मलबार आगे और यूआरएल रिपोर्ट करता है, तो प्लेटफॉर्म्स उन्हें सत्यापित कर सकते हैं, लेकिन विवाद होने पर कंपनी दोबारा अदालत जा सकती है।

प्रिंटेड सामग्री पर रोक: प्रतिवादी संख्या 6 को इस विवाद से संबंधित किसी भी मानहानिकारक मुद्रित सामग्री के प्रकाशन से रोका गया।

    यह आदेश अगली सुनवाई तक लागू रहेगा, जिसकी तारीख 11 नवंबर 2025 तय की गई है।

    इस फैसले के जरिए अदालत ने स्वतंत्र अभिव्यक्ति और डिजिटल युग में किसी ब्रांड की प्रतिष्ठा की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है, जहाँ ऑनलाइन कथानक तेजी से फैल सकता है।

    Case Title:- Malabar Gold and Diamonds Limited v. Meta Platforms Inc & Ors.

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