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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मेघालय हाईकोर्ट ने आवारा कुत्तों पर दायर जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट को सौंपी

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मेघालय उच्च न्यायालय ने अपने पहले के आदेश को वापस ले लिया और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद शिलांग आवारा कुत्ते की जनहित याचिका को सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। - मेघालय राज्य बनाम कौस्तव पॉल और अन्य।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मेघालय हाईकोर्ट ने आवारा कुत्तों पर दायर जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट को सौंपी

मेघालय हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों से जुड़ा एक बहुचर्चित मामला अपने हाथ से बाहर कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एच.एस. थांगख्यू और न्यायमूर्ति डब्ल्यू. डिएंगदोह की पीठ ने राज्य की याचिका स्वीकार करते हुए अपने पहले के आदेश में संशोधन किया और मामले को सीधे सुप्रीम कोर्ट को भेजने का आदेश दिया।

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पृष्ठभूमि

जनहित याचिका (PIL No.4 of 2024) अधिवक्ता कौस्तव पॉल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें शिलांग में बढ़ती आवारा कुत्तों की संख्या और नगर निकायों की कथित निष्क्रियता पर चिंता जताई गई थी। 30 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मामला अपने पास रखा था कि मेघालय की स्थिति "विशेष प्रकृति" की है।

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लेकिन स्थिति तब बदल गई जब सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2025 को "City Hounded by Strays, Kids Pay Price" शीर्षक से चल रहे स्वतः संज्ञान मामले में व्यापक निर्देश जारी किए। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों से जुड़े सभी मामलों को, जो देशभर के हाईकोर्ट्स में लंबित हैं, एक साथ दिल्ली में सुना जाए।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

26 सितंबर 2025 को जब मामला सामने आया, तो राज्य की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता ए. कुमार ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला अब अलग से नहीं चल सकता। उन्होंने जोर दिया कि इस मुद्दे पर एकरूपता जरूरी है, क्योंकि आवारा कुत्तों का सवाल केवल स्थानीय शासन का नहीं बल्कि मौलिक अधिकारों और जनसुरक्षा से भी जुड़ा है।

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पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

"महाधिवक्ता ने सही इंगित किया है कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की प्रत्यक्ष निगरानी में है।"

वरिष्ठ अधिवक्ता कौस्तव पॉल, जो व्यक्तिगत रूप से पहले प्रतिवादी के रूप में पेश हुए, ने कोई आपत्ति नहीं जताई। बल्कि उन्होंने माना कि यह बड़ा मुद्दा है और इसे समेकित दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए। शिलांग म्यूनिसिपल बोर्ड की ओर से अधिवक्ता एस. डे ने भी इस स्थानांतरण का समर्थन किया।

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निर्णय

सभी पक्षों की संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने 30 अगस्त का अपना पुराना आदेश वापस ले लिया। अदालत ने निर्देश दिया कि PIL No.4 of 2024 से संबंधित सभी अभिलेख “यथाशीघ्र” सुप्रीम कोर्ट को भेजे जाएं।

इसी के साथ राज्य द्वारा दायर याचिका (MC (PIL) No.6 of 2025) स्वीकार कर निपटा दी गई।

अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रही स्वतः संज्ञान कार्यवाही का हिस्सा बनेगा, जहां आवारा कुत्तों के प्रबंधन पर पूरे भारत के लिए एक रूपरेखा तैयार करने की न्यायिक प्रक्रिया जारी है।

Case Title: The State of Meghalaya v. Kaustav Paul & Ors.

Case Number: MC (PIL) No. 6 of 2025 in PIL No. 4 of 2024

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