कलकत्ता हाई कोर्ट ने 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने वाला आदेश विस्तृत समीक्षा के बाद किया निरस्त

By Vivek G. • December 4, 2025

पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड बनाम प्रियंका नस्कर और अन्य, कलकत्ता हाई कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती विवाद में 32,000 नियुक्तियाँ बहाल कीं, सिंगल जज का रद्दीकरण आदेश हटाया; धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं पाया।

लंबी और तनावपूर्ण सुनवाई के अंत में मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2023 के उस सिंगल जज के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें लगभग 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। अदालत कक्ष में कई चिंतित चेहरे थे-शिक्षक, वकील और विभिन्न जिलों से आए कुछ पर्यवेक्षक-सभी वर्षों से चले आ रहे विवाद पर अंतिम स्पष्टता का इंतज़ार कर रहे थे।

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पृष्ठभूमि

यह मामला 2022 में दाखिल एक रिट याचिका से शुरू हुआ था, जिसे 2016 की प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में असफल रहे 140 उम्मीदवारों ने दाखिल किया था। उनका आरोप था कि चयन प्रक्रिया में अनियमितताएँ थीं, खासकर “अनट्रेन्ड” उम्मीदवारों की भागीदारी को लेकर।

सिंगल जज ने सीमित रिकॉर्ड और कुछ स्वतः संज्ञान में ली गई पूछताछ के आधार पर मई 2023 में सभी 32,000 नियुक्तियाँ रद्द कर दीं और 2016 के उम्मीदवारों तक सीमित एक नई भर्ती कराने का आदेश दिया। इससे उन शिक्षकों में भारी घबराहट फैल गई, जिन्होंने पहले ही नियम 6(3) के तहत निर्धारित प्रशिक्षण पूरा कर लिया था और कई वर्षों से नियमित सेवा दे रहे थे।

इसके बाद कई अपीलें (MAT 873/2023 और संबंधित मामले) दायर हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने भी हस्तक्षेप करते हुए कुछ अंतरिम निर्देशों पर रोक लगाई और हाई कोर्ट को अपीलों का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया।

अदालत के अवलोकन

डिवीजन बेंच ने रिकॉर्ड की लगभग पंक्ति-दर-पंक्ति समीक्षा की कि क्या हजारों नौकरियाँ रद्द करना कानूनी रूप से उचित था।

सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती ने टिप्पणी की, “अदालतें भर्ती नियमों को दोबारा नहीं लिख सकतीं, न ही वे ऐसे राहत आदेश पारित कर सकती हैं जिनकी प्रार्थना ही नहीं की गई हो।”

बेंच ने कई बिंदुओं पर जोर दिया:

  • दलीलों का अभाव: रिट याचिका में कहीं भी नियुक्तियाँ रद्द करने का अनुरोध नहीं था; किसी भी शिक्षक पर व्यक्तिगत धोखाधड़ी का आरोप भी नहीं था।
  • प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन: जिन शिक्षकों की नौकरी रद्द की गई, उन्हें पक्षकार तक नहीं बनाया गया था।
  • सिंगल जज का अधिकार क्षेत्र से बाहर जाना: बेंच ने कहा कि गवाह बुलाकर प्रश्न पूछना और बिना पर्याप्त साक्ष्य के बड़े निष्कर्ष निकालना इतने बड़े पैमाने पर नियुक्ति रद्द करने को उचित नहीं ठहरा सकता।
  • धोखाधड़ी का प्रमाण नहीं: अदालत ने कहा, “रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सामग्री नहीं है जो यह निष्कर्ष दे कि धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार हुआ था।”
  • मीडिया के प्रभाव का उल्लेख: फैसले में यह भी कहा गया कि अत्यधिक मीडिया कवरेज ने संदेह का माहौल बनाया, जिसने अनजाने में पिछली न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित किया हो सकता है।

फैसले का एक महत्त्वपूर्ण कथन यह था: “धोखाधड़ी अनुमान से नहीं, बल्कि ठोस प्रमाण से सिद्ध होती है।”

अदालत ने यह भी माना कि अधिकांश शिक्षक सेवा में शामिल होने के बाद निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके थे और छह–सात साल से लगातार सेवा दे रहे थे।

निर्णय

सभी प्रस्तुतियों, पूर्व निर्णयों और वैधानिक नियमों का विश्लेषण करने के बाद डिवीजन बेंच ने सिंगल जज का पूरा आदेश रद्द कर दिया

अपीलें स्वीकृत कर ली गईं और 32,000 शिक्षकों की नियुक्तियाँ पूर्ण रूप से बहाल कर दी गईं। नई भर्ती कराने का निर्देश भी निरस्त कर दिया गया।

मामला इस टिप्पणी के साथ समाप्त हुआ कि न्यायिक समीक्षा ऐसे उपकरण में नहीं बदल सकती जो हजारों लोगों को बिना स्पष्ट प्रमाण के दंडित करे-और यह सुनते ही अदालत में मौजूद शिक्षक visibly राहत महसूस करते दिखे।

Case Title: The West Bengal Board of Primary Education vs. Priyanka Naskar & Others

Case Type: Appeals (Division Bench) arising out of writ petition challenging 2016 Primary Teacher Recruitment

Appeal Number: MAT 873 of 2023 (with connected appeals)

Original Writ Petition: WPA 996 of 2022

Decision Date: 2 December 2024

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