छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर ने 12 अगस्त 2025 को एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में राज्य के सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह मुद्दा उठाया, जिनमें बिलासपुर के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) बेल्हा और रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल की कमियों को उजागर किया गया था।
अखबार हरिभूमि की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में डॉक्टर समय पर उपलब्ध नहीं थे और एक्स-रे मशीन लंबे समय से बंद पड़ी थी। राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि एक्स-रे मशीन पूरी तरह चालू है और सिर्फ जुलाई 2025 में 426 एक्स-रे किए गए। हलफनामे में यह भी कहा गया कि अस्पताल रोजाना औसतन 250 ओपीडी मरीजों का इलाज करता है और जुलाई महीने में 84 प्रसव दर्ज किए गए।
राज्य सचिव ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि डॉक्टरों और स्टाफ की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए 15 अगस्त 2025 से आधार आधारित अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जाएगा।
रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल के संबंध में दाखिल हलफनामे में बताया गया कि जुलाई 2025 में 52,278 मरीजों का इलाज हुआ, जबकि अगस्त के पहले आठ दिनों में ही 15,039 मरीज दर्ज हुए। राज्य सरकार ने दावा किया कि मरीजों की बड़ी संख्या के बावजूद देरी की कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा:
“हालांकि कहा गया है कि पर्याप्त डॉक्टर मौजूद हैं, लेकिन कई पद खाली हैं और अस्पतालों में भीड़भाड़ है। रीजेंट की आपूर्ति न होने के कारण कई जांचें नहीं हो पा रही हैं। रात में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि कुछ वैकल्पिक इंतज़ाम किए गए हैं।”
कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को तत्काल कदम उठाने और अस्पतालों में अस्वच्छ सर्जिकल ब्लेड की शिकायतों का समाधान करने का निर्देश दिया। साथ ही, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (सीजीएमएस) को पूरे राज्य के अस्पतालों में समय पर मेडिकल किट उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया।
मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर 2025 को होगी।
मामला शीर्षक: Suo Moto Public Interest Litigation बनाम State of Chhattisgarh
मामला संख्या: WPPIL No. 27 of 2024