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दिल्ली कोर्ट ने तीन साल के रिश्ते के बाद शादी का झूठा वादा करने के मामले में गुनीत सिंह को जमानत दे दी

Shivam Y.

राज्य बनाम गुनीत सिंह - दिल्ली की अदालत ने सहमति से दीर्घकालिक संबंध और सख्त जमानत शर्तों का हवाला देते हुए "शादी के झूठे वादे" मामले में गुनीत सिंह को जमानत दे दी।

दिल्ली कोर्ट ने तीन साल के रिश्ते के बाद शादी का झूठा वादा करने के मामले में गुनीत सिंह को जमानत दे दी

नई दिल्ली की साकेत अदालत में राज्य बनाम गुनित सिंह मामले में जमानत की सुनवाई नाटकीय रही। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरगुरवरिंदर सिंह जग्गी ने 19 सितंबर 2025 को आदेश सुनाते हुए आरोपी गुनित सिंह को जमानत दे दी। यह मामला भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 69 के तहत यौन शोषण के आरोपों से जुड़ा था।

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पृष्ठभूमि

संगम विहार की एक युवती ने 27 अगस्त 2025 को एफआईआर दर्ज कराई थी। उसका आरोप था कि गुनित ने 2021 में कार्यस्थल पर दोस्ती की, फिर प्रेम का इज़हार किया और शादी का वादा कर उसे संबंध बनाने के लिए राज़ी किया। युवती के अनुसार, गुनित का परिवार भी इस नाटक में शामिल था - उसे बहू मानकर "शगुन" दिया, छुट्टियों पर साथ ले गए और उसे यह भरोसा दिलाया कि शादी पक्की है।

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उसका कहना था कि गुनित ने उसे बार-बार शारीरिक संबंधों के लिए मजबूर किया, अक्सर होटलों में, और कई बार बिना सहमति निजी पलों की रिकॉर्डिंग भी की। जब युवती ने शादी पर ज़ोर दिया तो गुनित ने संपर्क तोड़ लिया और विवाह से इंकार कर दिया। खुद को धोखा खाया महसूस कर उसने पुलिस का दरवाज़ा खटखटाया।

गुनित की ओर से अधिवक्ता कुशल कुमार ने तर्क दिया कि यह रिश्ता पूरी तरह सहमति पर आधारित था और साढ़े तीन साल चला। उन्होंने कहा,

"यह महज़ नाकाम प्रेम प्रसंग है। शादी न होने को बलात्कार या धोखा नहीं कहा जा सकता।" उनका कहना था कि दोनों शिक्षित और समझदार वयस्क थे, जो धार्मिक भिन्नताओं से परिचित थे।

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राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक हिमत सिंह ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि गुनित गवाहों को प्रभावित कर सकता है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है, खासकर तब जब ज़ब्त मोबाइल फ़ोनों की फॉरेंसिक रिपोर्ट आनी बाकी है। शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता अविनाश कपूर ने इसे "योजनाबद्ध शोषण" बताया और कहा कि युवती को तो यहां तक दबाव डलवाया गया कि वह पुलिस को समझौते का पत्र लिखे।

अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायाधीश जग्गी ने मुख्य सवाल पर गौर किया कि क्या वाकई धोखे का तत्व मौजूद था। अदालत ने कहा कि दोनों का रिश्ता वर्षों तक चला और इस दौरान कोई आपत्ति दर्ज नहीं हुई। सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि लंबे समय तक चले सहमति आधारित संबंध को केवल शादी न होने की वजह से आपराधिक धोखा नहीं माना जा सकता।

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पीठ ने टिप्पणी की -

"साढ़े तीन साल तक लगातार चले शारीरिक संबंध पर्याप्त हैं यह मानने के लिए कि रिश्ते में दबाव, ज़बरदस्ती या धोखे का तत्व नहीं था।" अदालत ने यह भी नोट किया कि धर्म परिवर्तन और विवाह को लेकर मतभेद बाद में उभरे, यानी शुरू से ही दोनों को बाधाओं का पता था।

निर्णय

सबूत से छेड़छाड़ की आशंका और अभियोजन की दलीलों को ध्यान में रखते हुए भी अदालत ने पाया कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इसलिए उसे सख्त शर्तों के साथ जमानत दी गई। गुनित को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और दो जमानतदार पेश करने होंगे, मोबाइल नंबर पुलिस को देने होंगे, अदालत में समय पर पेश होना होगा और शिकायतकर्ता से संपर्क नहीं करना होगा।

अदालत ने आदेश दिया

"यह मामला जमानत देने योग्य है," लेकिन साफ़ किया कि यह अवलोकन मुकदमे के अंतिम परिणाम को प्रभावित नहीं करेगा

केस का शीर्षक: राज्य बनाम गुनीत सिंह

केस नंबर: जमानत मामला नंबर 1849/2025

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